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जल समस्या से जूझ रहा चेन्नई सेंट्रल क्षेत्र

locationचेन्नईPublished: Apr 16, 2019 01:03:24 am

चेन्नई सेंट्रल लोकसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में लंबे समय से लोग पानी के संकट से झूझ रहे हैं लेकिन…

Chennai Central area battling water problem

Chennai Central area battling water problem

चेन्नई।चेन्नई सेंट्रल लोकसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में लंबे समय से लोग पानी के संकट से झूझ रहे हैं लेकिन कोई सांसद इस समस्या का निवारण नहीं कर पाया है। उम्मीदवार चुनाव के वक्त वादे तो करते हैं लेकिन सत्ता में आते ही वादों को भूल जाते हैं। इतना ही नहीं इस क्षेत्र के लोगों को यातायात की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे हालात में एआईएडीएमके और डीएमके के लिए इस सीट की राह आसान नहीं होगी। क्षेत्र के लोग इस बार अपने उम्मीदवार से महत्वपूर्ण समस्याएं दूर करने की उम्मीद कर रहे हैं।

चेन्नई सेंट्रल क्षेत्र के मुख्य इलाकों में रायपेट्टा भी है जिसमें लोगों को कभी पानी की समस्या ज्यादा नहीं होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां भी जल समस्या बढ़ी है। वर्तमान में दो दिन में एक बार पानी मिलता है। इतना ही नहीं कभी कभी तो लोगों को पानी के लिए कार्य से छुट्टी लेनी पड़ती है।

अगर स्ट्रीट में पानी नहीं मिलता तो दूसरे इलाकों में जाकर लाना पड़ता है। यही स्थिति अन्य इलाकों में भी है जहां लोगों को लाइन में घंटों लगने के बाद भी कभी-कभी पानी नहीं मिल पाता। इलाके के लोगों को सीवेज ब्लॉकिंग की भी समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर भारी बारिश हो जाती है तो कई दिनों तक सडक़ों पर ही पानी जमा रहता है। चेन्नई सेंट्रल इलाके में शामिल थाउजेंड लाइट्स, चेपाक, ट्रिप्लीकेन, अन्ना नगर, एगमोर और हार्बर के लोग लंबे समय से यातायात की समस्या से जूझ रहे हैं।

कुछ सालों से अन्ना नगर, एगमोर और अन्ना सालै पर चल रहे चेन्नई मेट्रो निर्माण कार्य की वजह से भी यातायात की परेशानी बढ़ी है। चेपॉक, ट्रिप्लीकेन और रॉयपेट्टा इलाके में अवैध पार्किंग भी यातायात को प्रभावित करती है।

यह संसदीय सीट लंबे समय तक डीएमके का गढ़ रहा, लेकिन २०१४ के लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके ने बाजी मार ली। परिवर्तन के बाद भी लोगों की समस्या का निवारण नहीं हो पाया। यहीं कारण है कि इस चुनाव का सफर आसान नहीं है। संसदीय क्षेत्र में हिन्दी भाषियों की संख्या भी काफी ज्यादा है जिनको भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार कर रहे सभी उम्मीदवार लोगों से हमेशा की तरह इस बार भी क्षेत्र में बदलाव का वादा कर रहे है। डीएमके उम्मीदवार दयानिधि मारन बारिश के पानी का संग्रहण करने के लिए इलाके में अधिक से अधिक विलवणीकरण संयंत्र लगाने तथा युवाओं को रोजगार दिलाने का वादा कर रहे हैं।

पीएमके उम्मीदवार एस.आर. सैम पाल मतदाताओं से पानी की समस्या को खत्म करने और कुछ इलाकों में बुनियादी ढांचे में सुधार करने का वादा कर वोट मांग रहे हैं। इतना ही नहीं पानी की समस्या को खत्म करने के लिए नदियों के एकीकरण का भी वादा कर रहे हैं। मक्कल नीदि मय्यम की उम्मीदवार कमीला नसीर क्षेत्र की महिलाओं के लिए बेहतर सुरक्षा मुहैया करवाने और स्थानीय समस्याओं को दूर करने का वादा कर रही हैं। हर बार की तरह इस बार भी पार्टियां वादे तो कर रही हंै लेकिन पूरे होंगे या नहीं यह कहना थोड़ा मुश्किल है।

इस सीट पर २०१४ लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके के आर. विजयभास्कर ने कब्जा जमाया था जबकि इससे पहले २००९ में इस सीट से डीएमके ने सफलता हासिल की थी।

विधानसभा सीटों का समीकरण

विल्लीवाक्कम, एगमोर (एससी), हार्बर, चेपॉक, थाउजेंड लाइट्स और अन्नानगर विधानसभा सीटों पर डीएमके का कब्जा है।

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