शहर के सरकारी अस्पतालों में आए दिन गलत सर्जरी के रेफर किए हुए मामले आते रहते हैं। कीलपॉक मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी. वसंतामणि के मुताबिक आमतौर पर उपनगरीय एवं गैर जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में एक या दो सर्जन नियुक्त किए जाते हैं।
ऐसे में कर्मचारियों की कमी के चलते आपात सर्जरी के मामलों को जिला मुख्यालयों के अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि राज्य भर में लगभग 1 हजार पेडियाट्रिक सर्जन हैं और हर साल 25 हजार से भी अधिक सर्जरी की जाती है।
सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकांश सर्जरी राज्य के प्रमुख बाल चिकित्सा संस्थान इन्स्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (आईसीएच) चेन्नई में होती है।
आईसीएच के सहायक निदेशक डॉ. जयचंद्रन के मुताबिक अधिकांश सरकारी अस्पतालों में पेडियाट्रिक सर्जन नहीं होने के कारण 20 हजार से अधिक सर्जरी आईसीएच में की जा रही है। केवल सरकारी ही नहीं कई निजी अस्पतालों से भी गलत सर्जरी के मामले चेन्नई के सरकारी अस्पतालों में रेफर किए जा रहे हैं।
डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ सोशल इक्वेलिटी के सचिव डॉ. जी. रवींद्रनाथ ने कहा कि निजी अस्पतालों में सर्जरी का खर्ज काफी अधिक और अप्रभावी है। इस खर्च को वहन करने में असमर्थ होने के चलते भी काफी मरीजों को अंत में सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।