एस. एस. जैन एजुकेशनल सोसायटी के चुनाव उसके संविधान के तहत कराए जाएं। मद्रास हाईकोर्ट madras high court के जज जी. जयचंद्रन ने एक याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिए।
चेन्नई. एस. एस. जैन एजुकेशनल सोसायटी के चुनाव उसके संविधान के तहत कराए जाएं। मद्रास हाईकोर्ट
Madras as high
court के जज जी. जयचंद्रन ने एक याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिए।
मूल याचिका में सोसायटी के अधीन संचालित एक कॉलेज के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान बजाय कॉलेज सचिव के सीधे कॉलेज शिक्षा निदेशालय द्वारा किए जाने को चुनौती दी गई थी। इस याचिका में मनोहरलाल लोढ़ा ने स्वयं को प्रतिवादी बनाने की अर्जी लगाई थी जिसे मंजूर कर लिया गया।
उनके अधिवक्ता एम. सुनील कुमार ने हाईकोर्ट में जिरह की कि सोसायटी का संविधान कहता है कि दो साल में एक बार चुनाव होने चाहिए। लेकिन 12 अक्टूबर 2014 के बाद से सोसायटी के चुनाव नहीं हुए है। इस सोसायटी के अधीन स्कूल व कॉलेजों का संचालन हो रहा है इनको अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों का दर्जा तथा सरकारी वित्तीय मदद भी प्राप्त है।
जज जी. जयचंद्रन ने सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि सोसायटी ने पांच साल से चुनाव नहीं कराए हैं। सोसायटी का संविधान स्पष्ट है कि चुनाव दो साल में एक बार 30 सितम्बर के पहले हो जाने चाहिए जो मान्य है। जज ने वादी पक्ष की इस दलील को भी नहीं माना कि सोसायटी के सदस्यों की सूची रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी के पास भेजने के लिए वह बाध्य नहीं है।
न्यायालय ने शासनादेश का हवाला देते हुए निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि कॉलेज प्रबंधन और प्राधिकारियों के बीच मतभेद समाप्त हो जाता है तो प्राधिकारियों को कर्मचारियों को भुगतान के अधिकार वापस वैधानिक रूप से चुने गए सचिव को सुपुर्द करने होंगे।