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chennai news in hindi : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्जी ठुकराए जाने के बाद पी. राजगोपाल ने किया आत्मसमर्पण

locationचेन्नईPublished: Jul 10, 2019 02:49:00 pm

Submitted by:

shivali agrawal

रेस्तरां चेन ‘सरवणा भवन’ sarvana bhavan के संस्थापक पी. राजगोपाल p. rajgopal ने हत्या के मामले में मंगलवार को सत्र अदालत court में समर्पण surrender कर दिया।

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chennai news in hindi : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्जी ठुकराए जाने के बाद पी. राजगोपाल ने किया आत्मसमर्पण

चेन्नई. रेस्तरां चेन ‘सरवणा भवन’ sarvana bhavan के संस्थापक पी. राजगोपाल p. rajgopal ने हत्या के मामले में मंगलवार को सत्र अदालत court में समर्पण surrender कर दिया। राजगोपाल rajgopal ने स्वास्थ्य health कारणों का हवाला देते हुए न्यायालय court से और समय मांगा था, लेकिन याचिका खारिज होने के बाद उन्हें समर्पण करना पड़ा। वह एम्बुलेंस से अदालत court पहुंचे। इसी मामले में दोषी जनार्दन भी एम्बुलेंस से अदालत पहुंचे।
इससे पूर्व, मंगलवार दोपहर को न्यायमूर्ति एन. वी. रमण के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने स्वास्थ्य कारणों से समर्पण के लिए और वक्त देने की राजगोपाल की याचिका खारिज कर दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरवणा भवन के मालिक पी. राजगोपाल की स्वास्थ्य संबंधी याचिका को खारिज करते हुए उसे जल्द ही आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एन.वी. रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजगोपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इससे पहले उसने कभी बीमारी के बारे में कोई संकेत नहीं दिया। अंतिम समय में स्वास्थ्य का मुद्दा रखकर समय सीमा बढ़ाने की मांग की है इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के अपहरण और हत्या के मामले में राजगोपाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और अदालत ने उसे मद्रास हाईकोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए 7 जुलाई तक का समय दिया था। राजगोपाल को गुरुवार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसने स्वास्थ्य के आधार पर आत्मसमर्पण के लिए दी गई समय सीमा बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि राजगोपाल को 2009 में मद्रास उच्च न्यायालय ने संतकुमार के अपहरण और हत्या का दोषी करार दिया था। राजगोपाल जीवज्योति नामक लडक़ी से तीसरा विवाह करना चाहता था लेकिन उसने संतकुमार से शादी कर ली। बाद में संतकुमार को 2001 में राजगोपाल के लोगों ने मार डाला। 2004 में जीवज्योति की शिकायत पर एक सत्र अदालत ने राजगोपाल को दोषी पाया और उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। राजगोपाल ने मद्रास उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी जहां 2009 में इसे आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया गया। राजगोपाल ने इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में भी अपील की। गत मार्च में सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे मद्रास उच्च न्यायालय के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए 7 जुलाई तक का समय दिया था। इस मामले में राजगोपाल सहित 11 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है जिनमें से 9 जने आत्मसमर्पण कर चुके हैं। एक अन्य आरोपी जनार्दन उसी अस्पताल में भर्ती है जहां राजगोपाल का इलाज चल रहा है।
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