वेलूर vellore और कांचिपुरम kancheepuram के राजस्व अधिकारियों ने बुधवार को 13 परिवारों के 16 बच्चों समेत 42 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया।
चेन्नई. वेलूर
Vellore और कांचिपुरम kancheepuram के राजस्व अधिकारियों ने बुधवार को 13 परिवारों के 16 बच्चों समेत 42 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया। ये सभी मजदूर दोनों जिलों की विभिन्न लकड़ी काटने की इकाई में पिछले काफी सालों से कार्य कर रहे थे। इन इकाइयों में मजदूरों पर कड़ा प्रतिबंध लगाया गया था। मजदूरों को बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। उनके बच्चों को स्कूल भी जाने नहीं दिया जाता था। सूचना के आधार पर कांचिपुरम के सब-कलक्टर ए. सरवणन और वेलूर के रानीपेट के सब-कलक्टर एलमबहावत ने संयुक्त कार्रवाई कर इन मजदूरों को मुक्त कराया।
बंधुआ मजदूर संघ के सदस्य गोपी, जिन्होंने राजस्व अधिकारियों को बंधुआ मजदूरों की जानकारी दी थी, ने बताया कि राजस्व अधिकारियों को देखते ही कासी नामक एक व्यक्ति ने अधिकारियों से खुद को और अन्य बंधुआ मजदूरों को बचाने का आग्रह किया। जिसके बाद कासी और १० बच्चों समेत २७ लोगों को मुक्त कराया गया। ये सभी लोग कांचिपुरम के कोन्नेरीकुप्पम गांव में स्थित लकड़ी काटने की इकाई में कार्य करते थे। इसमें एक ८० साल का वृद्ध भी था जो ओलुनगावड़ी निवासी नटराज से १ हजार का उधार लेकर पिछले दस साल से उसके लिए कार्य कर रहा है।
इसी बीच सब कलक्टर एलमबहावत के नेतृत्व में एक टीम ने वेलूर जिले के परुवामेडु गांव में स्थित लकड़ी काटने की इकाई से छह बच्चों समेत १४ बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि उधार के पैसे नहीं चुकाने की वजह से काफी सालों से इन लोगों से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी।