महानगर chennai में जल संकट water crisis ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। पेयजल drinking water किल्लत के चलते लोगों की दिनचर्या बदल गई है।
चेन्नई. महानगर
Chennai में जल संकट water crisis ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। पेयजल drinking
water किल्लत के चलते लोगों की दिनचर्या बदल गई है। टैंकरों से जलापूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है। हैण्डपम्प तो कभी के नाकारा हो चुके हैं। जिन हैंडपंपों में पानी आ रहा है वहां लम्बी कतारें लगी रहती है। इन पर पानी को लेकर कई बार लोग आपस में उलझ जाते हैं। सरकार पूरी जलापूर्ति के लाख दावे करे लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। महानगर के अधिकांश इलाकों में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। लोगों को पानी के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। कई इलाकों में पानी की आपूर्ति टैंकरों से की जा रही है लेकिन इसके लिए लोगों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।
मेट्रो वाटर के लिए बुकिंग के लम्बे समय बाद वाटर टैंकर पहुंच रहे हैं। पानी भरने को लेकर प्रमुख चौराहों एवं गलियों में टैंकरों के पास भीड़ लगी नजर आती है। हर जगह घड़े कतारबद्ध रखकर लोग अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं।
पहले पानी भरने को लेकर आए दिन झगडऩा आम बात हो गई है। पानी का विवाद लोगों के रिश्तों में दरारें पैदा कर रहा है। महानगर के ऐसे इलाके जिनकी गलियों में टैंकर पहुंच नहीं पा रहे हैं उनमें पानी के लिए लम्बे पाइप की व्यवस्था करनी पड़ रही है। पानी को सहजने की जरूरत महसूस की जाने लगी है।
लोग पहले पानी को व्यर्थ बहा देते थे लेकिन अब तो सोच-समझ कर पानी का उपयोग करना पड़ रहा है। राशन की तरह अब पानी के लिए लाइनें लग रही हंै। लोग घंटों कतार में खड़े रहकर बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। कुछ लोग पानी के टैंकर पर निर्भर हैं तो कुछ इधर-उधर से जुगाड़ कर पानी की पूर्ति करने को मजबूर हैं। लोग पानी के लिए इधर से उधर खाली बर्तन लिए भटक रहे हैं। गर्मी के साथ पानी की किल्लत और बढ़ गई है।
लोगों का कहना है कि पेयजल संकट आज से पहले इतना कभी नहीं था। अब तो हालात अति विकट हो चले हैं। एक-एक पल भारी हो रहा है। कई बार तो बिन पानी के ही रहना मजबूरी बन गई है। लोगों का कहना है कि सुबह उठते ही पहले पानी का प्रबंध करना होता है। दूसरे काम बाद में किए जाते हैं। अब तो कई लोगों ने जलसंग्रह के लिए घरों में छोटे टैंक रख दिए हैं ताकि पानी को संग्रहित करके रखा जा सके। भूमिगत पानी कब का नीचे जा चुका है और कार्पोरेशन की लाइनें भी जवाब दे चुकी हैं। पानी की कमी लम्बे समय से बनी हुई है।