घटना के बाद देवा गंभीर रूप से घायल हुआ और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद मृतक की पत्नी डी. सुमित्रा मोटर दुर्घटना अधिकरण में याचिका दायर कर 75 लाख के मुआवजे की मांग की थी। सुनवाई के दौरान अपने पक्ष में एमटीसी ने दावा किया कि मृतक व्यक्ति बस से ओबरटेक करने की कोशिश कर रहा था और नियंत्रण बिगडऩे पर बस से टकरा गया था। निगम ने कहा कि बस अपने निर्धारित बस स्टॉप पर रुकी और वहां से निकलने के दौरान ही यह घटना हुई थी। एमटीसी ने कहा नियंत्रग बिगडऩे के बाद बाइक सवार बस के बम्पर से टकरा गया था और घायल हो गया था। ऐसे में एमटीसी मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
हालांकि ट्रिब्यूनल ने बताया कि बस की तेज रफ्तार की वजह से यह घटना हुई थी और इसका साक्ष्य भी है। लेकिन एमटीसी ने अपने दावे को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। ट्रिब्यूनल मुआवजे की गणना करने के दौरान देव की आयु, जो कि 38 वर्ष थी, और वे पेशे से इंजीनियर था, को भी ध्यान में रखा। कोर्ट ने एमटीसी को एक महीने के अंदर मुआवजा का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।