चेन्नई

मुख्यमंत्री ने लिखी पीएम को चिट्ठी

– कहा, नया वेटेज सिस्टम भेदभावपूर्ण
– आरबीआई ऋण के लिए कर रहा जिलों की रैंकिंग

चेन्नईSep 09, 2020 / 11:52 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Chief Minister wrote to Prime Minister Narendra Modi

चेन्नई. मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर नई वेटेज प्रणाली को भेदभावपूर्ण बताया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों को सीएसएल के लिए अधिक वेटेज देने की बात कही है। पत्र में आरबीआई से इसे वापस लेने एवं पुरानी वेटेज प्रणाली बरकरार रखने की मांग की है। आरबीआई ने छोटे व सीमांत किसान, नवीनीकरणीय ऊर्जा सेक्टर, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा, स्टार्टअप के लिए बेहतर क्रेडिट सुनिश्चित करने को ऋण दिशानिर्देश में संशोधन किया था। सीधे शब्दों में प्राथमिकता वाले सेक्टर वह है जिसे सरकार एवं केन्द्रीय बैंक देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं इसलिए उनको अन्य क्षेत्रों में प्राथमिकता दी जाती है। जब एमएसएमई, कृषि, आवास जैसे क्षेत्र को प्राथमिकता में रखा जाता है तो बैंकों को अपने ऋण का एक निश्चित हिस्सा उनको देना अनिवार्य होता है।
किसानों को सोलर पंप व स्टार्टअप शामिल
संशोधित गाइडलाइन के अनुसार भारतीय वाणिज्यिक बैंक जिसमें एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई आदि हैं, ने इन सेक्टरों के लिए ऋण का 40 फीसदी हिस्सा रखा है। अब संशोधित मापदण्डों में आरबीआई ने स्टार्टअप, किसानों को सोलर पंप की लगाने के लिए ऋण व बायोगैस प्लांट को इसमें जोड़ा है। प्रति व्यक्ति क्रेडिट प्रवाह के आधार पर जिलों को रैंक देना तय किया है। उसी के अनुसार उन्हें वेटेज मिलेगा।
लोअर वेटेज के लिए 205 जिले
आरबीआई ने कहा कि जिन जिलों में प्रति व्यक्ति पीएसएल छह हजार रुपए से कम है उन्हेंं अधिक वेटेज (125 प्रतिशत) मिलेगा जबकि जिन जिलों में प्रति पीएसएल 25 हजार से अधिक हैं, उन्हें कम वेटेज (90 प्रतिशत) मिलेगा। इसलिए यदि कोई बैंक कम क्रेडिट प्रवाह वाले जिले को एक हजार रुपए का ऋण देता है तो उसे अतिरिक्त प्रोत्साहन के साथ 1250 रुपए दिए जाएंगे। क्रेडिट प्रवाह के आधार पर, 184 जिलों की हायर वेटेज जबकि 205 जिले लोअर वेटेज के लिए पहचान की गई है जबकि शेष जिलों में कोई बदलाव नहीं है।
दक्षिण भारतीय राज्य कम क्रेडिट वाले जिलों में नहीं आ रहे
आन्ध्रप्रदेश के 13 में से 11 जिले, कर्नाटक के 30 में से 14 जिले, केरल के 14 में से 13 जिले, तेलांगाना के 33 में से 9 जिले, तमिलनाडु के 32 जिले (जिलों के विभाजन से पहले) की पहचान उच्च पीएसएल वाले जिलों के रूप में की गई है। दक्षिणी भारत के राज्यों में किसी जिले में कम क्रेडिट प्रवाह जिलों की सूची में नहीं दिखाया गया है। जिसका अर्थ हुआ कि दक्षिणी राज्यों को बैंकों से उधार देने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन नहीं मिलेगा। कम ऋण प्रवाह वाले जिले मुख्य रूप से बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ व पूर्वोत्तर राज्यों में है। पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी अन्य प्रदेश में इतने जिले को डिसइन्सेन्टिव नहीं मिला है। ऐसे में इस वेटेज प्रणाली से उद्योगों को राज्य मे आने एवं स्थापित करने में कम प्रोत्साहन मिल सकेगा। इससे विकास की गतिविधि पर असर पड़ेगा।
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