चेन्नई

कोरोना के साइड एफेक्ट्स: कोविड काल में तमिलनाडु के चार जिलों में बाल विवाह के मामले तेजी से बढ़े

आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों को लॉकडाउन के दौरान कम खर्च पर अपने बच्चों की शादी करवाना एक बेहतर विकल्प लगता है।

चेन्नईMay 28, 2021 / 03:19 pm

PURUSHOTTAM REDDY

Child marriages on the rise in four districts in Tamilnadu

चेन्नई.

कोरोना काल और लॉकडाउन ने जिस तरह लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है, उससे कई तरह की सामाजिक विसंगतियां की घटनाएं तेजी से बढ़ीं हैं। देश के कई हिस्सों में बच्चों को शादी के बंधन में बांधकर उनके सपने और उनका भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है। ऐसा अनुमान जताया जा रहा था कि कोरोना महामारी के कारण सामाजिक आर्थिक ताने-बाने में होने वाले बदलाव की वजह से बाल विवाह की संख्या में अतिरिक्त आंकड़े जुड़ सकते हैं।

डराने वाले है बाल विवाह के आंकड़े

बाल अधिकार संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के अनुसार मई के महीने में तमिलनाडु में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोत्तरी होती है। संगठन का कहना है कि राज्य में पिछले साल मई में बाल विवाह के मामलों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। तब कुल 318 मामले दर्ज किए गए थे। बाल विवाह खासकर सेलम, धर्मपुरी, रामनाथपुरम और दिंडीगुल (कोडैकनाल) जिलों की 72 आदिवासी बस्तियों और 10 ब्लॉकों में ज्यादा पाया गया है।

मई महीने में सबसे ज्यादा विवाह

क्राई के मुताबिक इस साल कोविड-19 का सामाजिक जीवन पर काफी बुरा असर हुआ है। ऐसे में अगर समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया तो बाल-विवाह अधिनियम का उल्लंघन बढ़ सकता है। स्थिति को बदतर बनाने के लिए मई के महीने में विवाह करने के लिए कई शुभ दिन और मुहूरत होते हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों को लॉकडाउन के दौरान कम खर्च पर अपने बच्चों की शादी करवाना एक बेहतर विकल्प लगता है। कोविड काल में आमतौर पर 10,000 से 20,000 रुपए के बीच शादी संपन्न हो सकती है। इन हालात में वर-वधु की उम्र मां-बाप के लिए ज्यादा मायने नहीं रखती।

चार जिलों में ज्यादा बाल विवाह

क्राई के आंकड़ों के अनुसार, सेलम में मई 2019 में 60 बाल विवाह दर्ज किए गए, जबकि मई 2020 में ऐसे 98 मामले सामने आए। धर्मपुरी में 2019 में लगभग 150 मामले देखे गए थे, जो इस साल 192 हो गए। 2011 की जनगणना के अनुसार, 0-19 वर्ष की आयु की 8.69 प्रतिशत लड़कियों की शादी तमिलनाडु में होती है। धर्मपुरी (11.9त्न) और सेलम (10.9त्न) बाल विवाह के मामले में सबसे आगे हैं।

आर्थिक बोझ बड़ा कारण

सेलम के गांव में रहने वाली 16 साल की ग्यारहवीं में पढऩे वाली छात्रा पढऩा चाहती है लेकिन उसका परिवार उसका विवाह करा रहा है। उसकी एक सहेली का कहना है कि लॉकडाउन के कारण कई लोग बेरोजगार हो गए। जद्दोजहद करता परिवार सस्ते में शादी समारोह का आयोजन कर रहा है और इस तरह से वह अपनी आर्थिक कठिनाई को कम कर रहा है। स्कूल बंद है और शादी चोरी छिपे हो रही है।

स्कूल छोड़ देंगी छात्राएं

कम उम्र में शादी का मतलब है कि लड़कियां स्कूल छोड़ देंगी और कम उम्र में विवाह के बंधन में बंध जाएंगी। इससे गुलामी, घरेलू-यौन हिंसा और प्रसव में मृत्यु बढ़ती है, यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 27 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले और सात प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.