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चेन्नई

अतिप्राचीन आदिवासी परंपरा पर धर्म थोप रहा सभ्य समाज

काट्टानकुलातुर स्थित एसआरएम इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हिंदी विभाग द्वारा सोमवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

चेन्नईMar 05, 2019 / 03:27 pm

Ritesh Ranjan

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अतिप्राचीन आदिवासी परंपरा पर धर्म थोप रहा सभ्य समाज

चेन्नई. काट्टानकुलातुर स्थित एसआरएम इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हिंदी विभाग द्वारा सोमवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आदिवासी हिंदी उपन्यासों में सामाजिक जन-जीवन विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि ओडिश के डॉ. विष्णुदेव सिंह मल्लिक तथा विशिष्ट अतिथि लॉयला कॉलेज चेन्नई के हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजशेखर थे। स्वागत भाषण एसआरएम की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एस. प्रीति ने दिया।
अपने बीज वक्तव्य में मुख्य अतिथि ने आदिवासी समाज की समस्याओं को उजागर करते हुए उनका समाधान प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विशिष्ट अतिथि डॉ. राजशेखर ने आदिवासी परंपरा को अति प्राचीन बताते हुए कहा कि आधुनिक सभ्य समाज इन पर धर्म थोपता आ रहा है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से सभ्य एवं आदिवासी समाज के द्वंद्व को भी समझाया। संगोष्ठी के दौरान महानगर के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं तथा शोधार्थियों ने भी इस विषय पर प्रपत्र वाचन किया। अण्डमान-निकोबार से चेन्नई आकर प्रपत्र पढऩे वाले शोधार्थियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। प्रथम सत्र का संचालन वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मोहम्मद शाहीदुल इस्लाम तथा दूसरे सत्र का संचालन प्राध्यापक प्रेमचंद भार्गव ने किया। इस दौरान कला संकाय के डीन डॉ. जे. ज्योतिकुमार समेत भारी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधार्थी मौजूद थे।

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