सुप्रीम कोर्ट में वेदांता की ओर से याचिका डाली गई थी, जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु में उसके तांबा गलाने के प्लांट को खोला जाए तो वह कोविड-19 संकट के बीच ऑक्सीजन प्रदान करने में मदद कर सकता है। स्टरलाइट प्लांट जो कथित तौर पर पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करता पाया गया था। 2018 में इस प्लाट के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद से यह प्लांट बंद पड़ा है।
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ऐसा नहीं कह सकती है प्रदेश सरकार
तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिले के लोगों में कंपनी के खिलाफ नाराजगी है। अगर प्लांट को दोबारा से खोला जाता है तो जिले लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति फिर से बिगड़ सकती है, जिसके संभाल पाना काफी मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकार उसी के तहत एक हलफनामा दायर करने को तैयार है?
ऑक्सीजन आपूर्ति में मदद कर सकता है प्लांट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही तमिलनाडु को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत नहीं है, लेकिन प्लांट देश के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन आपूर्ति में मदद कर सकता है। जब लोग मर रहे हैं, तो तमिलनाडु यह नहीं कह सकता कि कानून और व्यवस्था की वजह से प्लांट को नहीं खोला जा सकता है। यह वेदांता या किसी कंपनी के बारे नहीं है। राज्य सरकार इस तरह का तर्क नहीं दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को अगली तारीख दी है।
स्थानीय लोगों ने किया धरना प्रदर्शन
वहीं दूसरी ओर 23 अप्रैल की सुबह यानी आज सुबह स्थानीय लोगों ने तुत्तुकुडी कलेक्टर कार्यालय में आकर संयंत्र को फिर से खोलने का विरोध किया। कलेक्टर ने लोगों को उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए कार्यालय बुलाया था। वो भी लोग भी कलक्टर ऑफिस में पहुंचे जो इस प्लांट को खोलने के समर्थन में थे।