तमिलनाडु में सौ साल से हो रहा मोई विरुन्दुÓ का आयोजन चेन्नई. तमिलनाडु के कुछ गांवों की सौ साल पुरानी परम्परा है ‘मोई विरुन्दुÓ (भेंट दावत) का चलन आज भी है। अमूमन दावत पर मेजबान के रुपए खर्च होते हैं लेकिन यह ऐसा आयोजन है जिसमें उसके पास पैसा आता है। तमिनाडु के पुदुकोट्टै जिले के वड़काड़ गांव में ऐसी ही दावत का आयोजन मुगिलन फ्लैक्स के मालिक कृष्णमूर्ति ने कराया। गांववालों और परिचितों ने दावत का लुत्फ उठाया और भेंट स्वरूप मेजबान को नकद 4.50 करोड़ प्राप्त हुए। इस तरह की दावत में नकद भेंट का यह अपने आप में रिकॉर्ड बताया गया है। इन रुपयों को अब सामाजिक कार्यों में खर्च किया जाएगा। वड़काड़ गांव में गुरुवार को ने यह आयोजन कराया था जिसमें उनको साढ़े चार करोड़ की भेंट मिली। आयोजन में आइडीबीआई बैंक का एक काउंटर भी लगाया गया था जहां भेंट जमा की जा रही थी।
यह है मोई विरुन्दु मोई विरुन्दु एक विशेष परम्परा है जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को प्रीतिभोज के लिकए आमंत्रित किया जाता है ताकि उनसे नकद भेंट हासिल की जा सके और उसे समाजकार्या में लगाया जा सके। तमिलनाडु के कई हिस्सों में तमिल माह आणी, आड़ी और आवणी यानी जून से अगस्त के बीच इस तरह की दावत आयोजित करते हैं। अभिनेता विजयकांत की फिल्म ‘चिन्न गौंडरÓ में भी इस तरह का एक दृश्य है। इन तीन महीनों में कृषक कृषि कार्य से मुक्त रहते हैं और इन आयोजनों के माध्यम से एक-दूसरे की करते हैं। मेजबान दावत के बदले मिलने वाली नकदी का विविध कार्यों मसलन- वैवाहिक कार्यों, बच्चों की पढ़ाई, पुरानी कर्जदारी का निपटारा अथवा बैंक निवेश में करता है।
समाज कार्य के लिए बड़ी राशि का इंतजाम मोई विरुन्दु को आयोजन करने वालों में शिक्षक, सरकारी कर्मचारी और संभ्रांत वर्ग के लोग भी शामिल हैं। सामान्य परिवेश का आयोजक भी लाखों की नकदी जुटा लेता है। पुदुकोट्टै जिले के वड़काडु गांव की मोई दावत में शामिल हुए एस. पलनीवेल का कहना है कि इसमें यथाश्रद्धा लोग भेंट देते है जो 250 से लाखों में हो सकती है। इस दावत में करीब नौ हजार लोग आए। तीन साल पहले उन्होंने ऐसे ही आयोजन से 3 करोड़ रुपए के नकद उपहार पाए थे।