किसी फिल्म की सफलता में एक्शन, ड्रामा, कहानी, संगीत के साथ ही हास्य की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। सिनेमा के शुरुआती दौर से ही हास्य अभिनेता फिल्म का महत्वूपर्ण किरदार रहा है। भगवान दादा, महमूद, जगदीप, केस्टो मुखर्जी, जॉनी वाकर, मुकरी, राजेंद्रनाथ, धूमल, उत्पल दत्त, देवेन वर्मा, मोहन चोटी, जॉनी लीवर और टुनटुन जैसे हास्य अभिनेताओं ने फिल्मों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। कई हास्य अभिनेता तो नायकों पर भी भारी पड़ते थे और उनकी फीस भी ज्यादा होती थी। ९० के दशक में ट्रेंड बदला, जब नायक ही कॉमेडियन की भूमिका में नजर आने लगे। गोविंदा, अनिल कपूर, अक्षय कुमार, कमल हसन ने फिल्मों में दर्शकों को खूब गुदगुदाया। हालांकि ये प्रयोग नया नहीं था, चलती का नाम गाड़ी, पड़ोसन और गोलमाल जैसी फिल्मों में हास्य भी नायक के जिम्मे ही था। फिर खलनायक के रूप में स्थापित अभिनेता भी कॉमेडियन के रूप में खूब मशहूर हुए।
किसी फिल्म की सफलता में एक्शन, ड्रामा, कहानी, संगीत के साथ ही हास्य की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। सिनेमा के शुरुआती दौर से ही हास्य अभिनेता फिल्म का महत्वूपर्ण किरदार रहा है। भगवान दादा, महमूद, जगदीप, केस्टो मुखर्जी, जॉनी वाकर, मुकरी, राजेंद्रनाथ, धूमल, उत्पल दत्त, देवेन वर्मा, मोहन चोटी, जॉनी लीवर और टुनटुन जैसे हास्य अभिनेताओं ने फिल्मों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। कई हास्य अभिनेता तो नायकों पर भी भारी पड़ते थे और उनकी फीस भी ज्यादा होती थी। ९० के दशक में ट्रेंड बदला, जब नायक ही कॉमेडियन की भूमिका में नजर आने लगे। गोविंदा, अनिल कपूर, अक्षय कुमार, कमल हसन ने फिल्मों में दर्शकों को खूब गुदगुदाया। हालांकि ये प्रयोग नया नहीं था, चलती का नाम गाड़ी, पड़ोसन और गोलमाल जैसी फिल्मों में हास्य भी नायक के जिम्मे ही था। फिर खलनायक के रूप में स्थापित अभिनेता भी कॉमेडियन के रूप में खूब मशहूर हुए।