सरकारी अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के केंद्र के कदम की निंदा
DMK मुखपत्र मुरासोली के संपादकीय में पार्टी ने भाजपा के नेतृत्व वाले शासन में बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों की तुलना अपने शिकार के इंजतार में बैठे भूखे भेडिय़ों से की है

चेन्नई. डीएमके ने कर्मचारियों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के केंद्र सरकार central government के कदम की निंदा की और आरोप लगाया कि देश के जनसाधारण के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन नहीं किया जा रहा है। पार्टी के मुखपत्र मुरासोली के संपादकीय में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) DMK ने भाजपा BJP के नेतृत्व वाले शासन में बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों की तुलना अपने शिकार के इंजतार में बैठे भूखे भेडिय़ों से की है। इसमें कहा गया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में रोजगार के नए अवसरों का सृजन नहीं होना, बेरोजगारी Unemployment बढना और मौजूदा रिक्तियों को नहीं भरा जाना रोजगार के मोर्चे पर तीन गंभीर मुद्दे हैं।
संपादकीय editorial में कहा गया, जिन कर्मचारियों ने या तो 30 वर्ष की सेवा या 55 साल की उम्र पूरी कर ली है, उनके कार्य (पात्रता) के मूल्यांकन के बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया है। इसके अनुसार इस आदेश के चलते केंद्र सरकार में 55 साल की उम्र पूरी कर चुके उन सभी कर्मचारियों को घर जाने की तैयारी कर लेनी चाहिए। हाल में केंद्र ने भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा और पेशेवर कदाचार के आरोप में 12 आयकर अधिकारियों को बर्खास्त किया था। इसके अलावा भ्रष्टाचार Corruption के आरोपों पर चार संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारियों का पद घटाकर उपायुक्त रैंक कर दिया गया। इसके अलावा भ्रष्टाचार एवं रिश्वत लेने के आरोप में केंद्र ने प्रधान आयुक्त रैंक के एक अधिकारी सहित 15 वरिष्ठ सीमाशुल्क एवं केंद्रीय आबकारी अधिकारियों को भी सेवा से हटा दिया था।
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