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तमिलइसै व एसवी शेखर के बीच तनातनी

locationचेन्नईPublished: Sep 25, 2018 07:23:12 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

प्रदेशाध्यक्ष ने पार्टी नेता को दिया जवाब

Constabulary between TamilSai and SV Shekhar

तमिलइसै व एसवी शेखर के बीच तनातनी

चेन्नई. भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष तमिलइसै सौंदरराजन और एस. वी. शेखर के बीच की खींचतान सार्वजनिक हो गई है। पार्टी की कमान संभालने को तैयार एस. वी. शेखर की बयानबाजी का तमिलइसै ने सोमवार को जवाब दिया। शेखर ने श्रीविल्लीपुत्तूर में पत्रकारों के एक सवाल को गलत तरीके से समझते हुए उत्तर दिया था कि अगर उनको प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जाती है तो वे मौजूदा वोट बैंक को और बढ़ा सकते हैं। फिर पत्रकार ने अपने सवाल को दोहराया कि क्या वे मौजूदा नेतृत्व का आदर नहीं करते हैं? तब अपना जवाब सुधारते हुए बोले कि आपका सवाल यह था क्या? मैं नेतृत्व को मानता हूं या नहीं मुझे नहीं पता। लेकिन इसके लिए मैं रोज तमिलइसै के घर के बाहर जाकर नहीं खड़ा रह सकता।
शेखर के उक्त जवाब पर प्रदेशाध्यक्ष ने प्रतिक्रिया दी कि वे कई हास्य नाटकों का मंचन और अभिनय कर चुके हैं। नाटक में बोलने की तरह ही उनका बयान दिखाई देता है। शायद उनको लगता भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनना बेहद आसान है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु भाजपा के नेता अपनी बयानबाजियों से विवादों में घिरते जा रहे हैं। तमिलइसै तुत्तुकुड़ी एयरपोर्ट पर सोफिया नाम की युवती से उलझीं तथा एच. राजा गणोशोत्सव पर तिरुमय्यम में पुलिस व कोर्ट के खिलाफ बयान देकर विवादों में घिर गए। अब शेखर के बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया है।

पेरअरिवालन की मां ने की बेटे को रिहा करने की अपील

चेन्नई. राजीव गांधी हत्याकांड में आरोपी पेरअरिवालन की मां अर्पुदम अम्माल ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात कर अपने बेटे और 6 अन्य आरोपियों को रिहा करने की अपील की। राज्यपाल से मिलने के बाद उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए पत्रकारों से कहा कि राज्यपाल ने आराम से उनकी बात सुनी। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि वे सकारात्मक निर्णय लेते हुए सभी सातों आरोपियों को जेल से रिहा करने का आदेश देंगे।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले उच्च न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल ने पेरअरिवालन और साथियों की दया याचिका को मानते हुए उनकी रिहाई के लिए राज्यपाल को धारा 161 के अंतर्गत अपने ऐसे आरोपियों को क्षमा देकर रिहा करने के अधिकार के उपयोग की सिफारिश की थी।
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