वाइको ने पत्रकारों को बताया कि सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई सुनवाई ढाई बजे तक चली। वेदांता समूह की ओर से अधिवक्ता ने करीब डेढ़ घंटे तक प्लांट के पक्ष में दलील दी। कंपनी की ओर से समिति के सामने तुत्तुकुड़ी के कुछ लोगों को पेश किया गया जिनमें कुछ उद्यमी और व्यापारी भी थे। उनका आरोप है कि इनसे यह कहलवाया गया है कि कॉपर प्लांट ग्रामीणों की जरूरत है इसके अभाव में स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है।
एमडीएमके महासचिव ने कहा प्लांट का पिछले बाईस सालों से ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जा रहा है। ट्रिब्यूनल ने कंपनी की आवाज सुनी है। स्थानीय लोगों के अलावा विरोध प्रदर्शन में जान गंवाने वालों के परिजनों की बात भी सुनी जानी चाहिए। उन्होंने न्यायाधिकरण से कहा है कि स्टरलाइट पर्यावरणीय आपदा है। उनके आग्रह पर समिति ने कहा कि अगली सुनवाई ५ या ६ अक्टूबर को होगी।
कैलाश महल में समिति की सुनवाई और वहां रखे गए विचार सोशल मीडिया पर लगातार शेयर किए जा रहे थे। इस बीच प्लांट के समर्थक और विरोधी समूहों के बीच गर्म बहस हुई। प्लांट के विरोधियों का आरोप था कि जो इसका समर्थन कर रहे हैं वे स्टरलाइट के स्थाई कर्मचारी हैं जबकि स्टरलाइट कंपनी के सदस्य के अनुसार विरोधी गुट जबरदस्ती समस्या पैदा कर रहा है।