अधिवक्ता शिवराजशेखरन ने मद्रास उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई कि यह अत्यावश्यक है कि कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता लाई जाए लेकिन भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी इस रिकॉर्डेड कॉलर ट्यून को सुनने से मानसिक तनाव पैदा होता है। सभी मोबाइल सेवा प्रदाता हर बार किए जाने वाले आउट गोइंग कॉल पर यह संदेश बजा रहे हैं जिससे जनता को बड़ी असुविधा हो रही है। कॉलर ट्यून पर खांसी की आवाज आने का असर इसे सुनने वाले पर भी पड़ रहा है।
याची ने सुझाया कि जागरूकता को लेकर प्राधिकारी खांसी के बजाय उपयुक्त शब्दावली का उपयोग कर सकते हैं। कॉलर ट्यून के अलावा एसएमएस, वाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक इंस्टाग्राम और सिनेमा हॉल के जरिए भी जागरूकता संदेश का प्रसारण कर सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के वॉइस संदेश से घृणा पैदा होने लगती है और यह संविधान में स्थापित शांतिपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का भी उल्लंघन है। इस वजह से इस वॉइस संदेश के प्रसारण पर रोक लगनी चाहिए।
संभवत: इस जनहित याचिका पर सुनवाई आइपीएल मैचों के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने वाली अर्जी के साथ होगी। हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका के मद्देनजर आइपीएल मैच के आयोजन रोके जाने चाहिए।
संभवत: इस जनहित याचिका पर सुनवाई आइपीएल मैचों के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने वाली अर्जी के साथ होगी। हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका के मद्देनजर आइपीएल मैच के आयोजन रोके जाने चाहिए।