चेन्नई

समृद्ध भारत की नींव रखने का सुनहरा अवसर

एसोचैम सदर्न इंडिया को-चेयरमैन के तथा सुराणा एंड सुराणा इंटरनेशनल एटार्नीज के सीईओ डा.विनोद सुराणा ने दस ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।

चेन्नईApr 04, 2020 / 07:47 pm

Santosh Tiwari

समृद्ध भारत की नींव रखने का सुनहरा अवसर

चेन्नई. एसोचैम सदर्न इंडिया को-चेयरमैन के तथा सुराणा एंड सुराणा इंटरनेशनल एटार्नीज के सीईओ डा.विनोद सुराणा ने दस ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने ग्लोबल वार्मिंग एवं आर्थिक मंदी तथा प्रौद्योगिकी द्वारा व्यवधान से उत्पन्न समस्याओं को बहुत बढ़ाया है। लंबी और गहरी मंदी जो हमारे ऊपर मंडरा रही है, वह हमे कई कठिन पाठ सीखाने वाली है। इससे कई स्थाई बदलाव आएंगे। इस संकट का उपयोग वैश्विक स्तर पर अपनी रणनीति एवं आर्थिक एजेंडे को एडवांस करने के लिए किया जाना चाहिए। यह एक मात्र ऐसा अवसर है कि भारत इस शताब्दी को अपनी शताब्दी बनाए। नए पर्याप्त (adequate) कम कर के साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी माडल, कम ब्याज दर पर लंबी अवधि के फंडिंग, मित्र राष्ट्रों की सरकारों को शामिल करने से हम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। आज दुनिया उन सभी लक्षणों का सामना कर रही है जो 1929 की बड़ी आर्थिक मंदी एवं पिछले 200 सालों के अन्य वित्तीय संकटों के दौरान मौजूद थे। इन सबसे निपटने के लिए भारत को युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। लंबी अवधि के पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, बड़े पैमाने पर नौकरी एवं बड़ी निर्माण सुविधाओं एवं मांग पर काम करना होगा। यह भारत सरकार के लिए एक दुर्लभ अवसर है। सरकार को विधिवत सुधार लाने की बहुत जरूरत है। इससे बड़े रोजगार के अवसर, प्रदूषण एवं ग्लोबल वर्मिंग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का हल निकलेगा। लंबे विकास की नींव रखनी होगी। शिक्षा और कौशल की गुणवत्ता में सार्वभौम वृद्धि के साथ साथ बड़े पैमाने पर देश में मैनुफैक्चरिंग, संस्थागत पारदर्शिता एवं गवर्नेंस को बढ़ावा देना होगा। राष्ट्र निर्माण एवं गवर्नेंस के लिए विभिन्न क्षेत्रों के अभियान एवं क्षमता के दोहन की जरूरत है। पश्चिम समाज की तुलना में भारत की अद्भूत संस्कृति एवं समाज में बड़ी संख्या में सेवा भावी एवं जिम्मेदार नागरिक पैदा होते हैं।
डा सुराणा ने कहा कि नीति नियंताओं को कुछ बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा। इसमें जल प्रबंधन के लिए नदियों को जोड़ने, इनलैंड ट्रांसपोर्टेशन, बड़े जल भंडारण एवं सार्वजनिक मनोरंजन सुविधा के लिए नदियों, झीलों तथा तालाबों की सफाई जैसी बड़ी आधारभूत परियोजनाओं को शुरू करना शामिल है। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में अचानक वृद्धि को रोकने तथा राष्ट्र सुरक्षा के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाना होगा। इसके साथ ही बड़े सोलर एवं रिनीवेबल इनर्जी केंद्र स्थापित कर वितरण करना होगा। इससे पर्यावरण हितैषि एवं कम कीमत वाले ऊर्जा का वितरण होगा। एक दर्जन बड़े बंदरगाह बनाना होगा साथ ही कई छोटे बंदरगाह हो ताकि बड़े पैमाने पर सामानों का कम लागत पर परिवहन किया जा सके। सक्षम एवं अबाध परिवहन के लिए मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट हब बनाने की जरूरत है।
इन परियोजना को डिजाइन करने के लिए विदेशी सेवा प्रदाता को शामिल किए जाने के साथ ही सभी कार्यान्वयन, निर्माण, सामग्री सोर्सिंग भारत के अंदर से ही होना चाहिए। या फिर महत्वपूर्ण आफसेट्स पालिसी होनी चाहिए।
भारत को अनावश्यक वस्तुओं पर तीन साल के आयात शुल्क को शुरू करना चाहिए। इससे घरेलू उत्पादन त्वरित शुरू होगा। अंतर्राष्ट्रीय कानून ऐसी आपात स्थिति में ऐसे कदम उठाने की अनुमति देता है।
शासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं आटोमेशन का उपयोग करें। इससे लागत एवं भ्रष्टाचार कम होगा। सक्षमता एवं गति बढ़ेगी। इ गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए ऐसी प्रौद्योगिकी को लाए जो पुलिस एवं न्यायिक सुधार को आगे ले जाएं। इससे क्षमता, पारदर्शिता, जवाबदेही एवं जस्टिस डिलीवरी सिस्टम की लागत कम होगी। इससे आम आदमी को कानून के शासन एवं लोकतंत्र में विश्वास मजबूत होगा। मध्यस्थता को लेकर बड़े नियामक पर बल एवं गैर जरूरी मुकदमों पर दंड लगाना विवाद को कम करेगा। इससे काम भी आसान होगा। विचारों के क्राउड सोर्सिंग के लिए इ-गवर्नमेंट प्लेटफार्म बनाएं। इससे दिन प्रतिदिन की समस्याओं का राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर समाधान निकलेगा। इससे पूरी जनसंख्या की रचनात्मकता सामने आएगी और तेजी से, सामूहिक, कम लागत एवं प्रभावी तरीके से महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान होगा। इस तरह से हम सबको स्वीकार्य एवं अनुकूल समाधान निकाल सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एवं विभन्न हाई कोर्ट वीडियो कान्फ्रेंसिंग का प्रयोग कर रहे हैं ऐसे में इ-कोर्ट अवधारणा की ओर बड़ा कदम उठाया जा सकता है जो अभियोजक, वकील एवं जांच एजेंसियां एक न्यायाधीश के साथ वास्तविक रूप में एक साथ एक सामान्य वर्चुअल प्लेटफार्म पर जुड़ सकते हैं।
डा. विनोद सुराणा ने कहा कि दुनिया के टाप 200 विश्वविद्यालयों के लिए महत्वपूर्ण प्रोत्साहन की शुरुआत करनी चाहिए ताकि वे भारत में अपने कैम्पस स्थापित करें। इससे तेजी से विकसित हो रही युवा जनसंख्या की गुणवत्ता एवं कौशल स्तर तेजी से बढ़ सकेगा।
शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावी सेंटर आफ एक्सीलेंस, संस्मरण एवं नवोन्मेष बनना सुनिश्चित करने के लिए तथा लंबी अवधि के विकास को महसूस करने के लिए शैक्षणिक स्टाफ की सभी नियुक्तियों तथा सरकारी नामितों में पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ानी होगी। शैक्षणिक संस्थानों के बोर्ड में जाने माने उद्योग जगत का प्रतिनिधि नियुक्त हो।
सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए दिल्ली के बाहर विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों एवं संस्थाओं को स्थापित किया जाएं या कम से कम उनके क्षेत्रीय कार्यालय बनाए जाएं। इससे विकास का लाभ सबको मिलेगा एवं आम आदमी का जीवन आसान होगा जैसे सुप्रीम कोर्ट का एक बेंच दक्षिण भारत में हो।
उत्पादकता को बढ़ाने एवं घाटे को कम करने के लिए वर्तमान मुफ्त रूपरेखा की जगह आर्थिक सशक्तिकरण का ढांचा तैयार किया जाए। निशुल्क यूनिवसर्सल (न्यूनतम) ब्राडबैंड सुविधा हो ताकि सूचना, शिक्षा एवं अधिक जागरूक हो कर इ-गवनर्नेंस सफल हो।
उच्च क्षमता एवं उच्च गुणवत्वा वाले वितरित मेडिकल सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों में हो। जैसे एम्स की तरह के संस्थान प्रत्येक राज्य की राजधानी में शुरू हो। प्रौद्योगिकी के प्रयोग से आटोमेटेड मेडिकल डायग्नोस्टिक का बड़ा उपयोग हो। (जैसा कि चीन में आईबीएस के वाटसन टेक्नालाजी के प्रयोग से हुआ और इससे सस्ते, सही तथा तेज मेडिकल डायग्नोसिस हुआ)
उपलब्ध मेडिकल सीट की संख्या को चौगुना तथा चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल गवर्नेंस सह सख्त दंड का प्रावधान लाना होगा। भारत दुनिया का हेल्थकेयर सेंटर बन सकता है।
डा.सुराणा ने कहा कि नदियों, झीलों तथा तालाबों की लगातार सफाई एवं उन्हें बनाए रखने के लिए पीपीपी संरचना बनानी होगी। इससे जल का भंडार बड़ा होगा एवं सार्वजनिक मनोरंजन सुविधा बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि संसद एवं राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाई जाएं ताकि जनता का बड़ा एवं पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। जनता के प्रत्येक प्रतिनिधि के पास एक मानकीकृत आनलाइन डैशबोर्ड हो जो जनता के लिए खुला होना चाहिए। इससे बडी जवाबदेही, पारदर्शिता, सक्षमता एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दों का हल निकलेगा। महत्वपूर्ण कानून, प्रोत्साहन शुरू करना चाहिए ताकि प्रदूषण करने वाले पर भारी जुर्माना लगे। रासायनिक खेती को निरुत्साहित कर आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित करें। इससे रोग एवं प्रदूषण कम होगा। कोरोना एपिसोड, ग्लोबल वमिर्मिंग तथा टेक्नालाजी के वादों के लिए बडे सामाजिक बंधन एवं सामूहिक जिम्मेदारी की जरूरत है। हमें इस बात को महसूस करना होगा कि केयनेशियन सिद्धांत जहां उपभोग आधारित विकास माडल है, भारत जैसे जटिल राष्ट्र के लिए प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने कहा कि अकेले उपभोग असमानता को कम करने, लंबी अवधि के विकास एवं वित्तीय एवं सामाजिक समावेश का वाहक नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि कृषि एवं निर्माण क्षेत्र के विकास एवं विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इससे स्वतः नए सहायक सेवा क्षेत्र का विकास होगा। वर्तमान केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार इस स्थिति में हैं कि वे विधिवत बदलाव करें। यह एक अवसर है अगले 100 साल के लिए समृद्ध भारत के नींव को रखने का। आज की परिस्थितियां अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार कर रही हैं। डा.सुराणा नेशनल एडवाइजरी बोर्ड, नेशनल इंस्टीट्यूशन आफ क्वालिटी एवं रेलायबिलिटी के चेयरमैन तथा आल इंडिया मैनुफैक्चरर्स आर्गनाइजेशन के वाइस चेयरमैन हैं।

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