खड़ा हुआ प्रश्न
अब लॉकडाउन की घोषणा के बाद सरकारी स्कूलों में दोपहर के भोजन के लिए पंजीकृत 48.56 लाख बच्चों के अभिभावकों के आगे यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है। इन लागों के लिए सामान्य परिस्थिति में अपने बच्चों के लिए दो जून की रोटी जुटाना भी कई बार मुश्किल होता है। ऐसे में इन बच्चों के लिए पोषाहार कहां से आएगा। इन लोगो का कहना है कि यूं तो सरकार ने 31 मार्च तक के लिए ही बंद की घोषणा की है लेकिन वायरस के प्रभाव के कारण अभी कुछ भी निश्चित नहीं है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी की तरह ही दोपहर के भोजन के लिए पंजीकृत बच्चों के लिए सूखे राशन को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करना चाहिए।