मिट्टी के दीप की टिमटिमाती रोशनी में पढ़ाई
पांच साल पहले तक इंद्रजीत, इंद्रजा और इंदुजा को अपने दैनिक उपयोग के लिए अपने छोटे से टाइल वाले घर से दो किलोमीटर दूर सिरुवानी नदी से पीने का पानी लाना पड़ता था। तीनों मिट्टी के दीपक की मंद टिमटिमाती रोशनी में अध्ययन करते थे। तीनों ने बारहवीं (प्लस टू) तक की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में की है।
पांच साल पहले तक इंद्रजीत, इंद्रजा और इंदुजा को अपने दैनिक उपयोग के लिए अपने छोटे से टाइल वाले घर से दो किलोमीटर दूर सिरुवानी नदी से पीने का पानी लाना पड़ता था। तीनों मिट्टी के दीपक की मंद टिमटिमाती रोशनी में अध्ययन करते थे। तीनों ने बारहवीं (प्लस टू) तक की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में की है।
मैं नहीं पढ़ पाया, बच्चे कसर पूरी करेंगे
रामचंद्रन कहते हैं, मेरी पत्नी कमला, आदिवासी समुदाय से हैं और मैंने 5वीं तक पढ़ाई की है। मेरे पिता भी मजदूर थे और उनके पास बच्चों को शिक्षित करने के साधन नहीं थे। स्कूल आठ किलोमीटर दूर था और कोई उचित सड़क नहीं थी। जंगली जानवरों से भरे जंगलों से गुजरना पड़ा। हम स्कूल जाते भी तो कोई शिक्षक नहीं होता। कुछ साल पहले ही बिजली और पानी का कनेक्शन मिला। कमला और मैं दिहाड़ी मजदूर थे लेकिन हमने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा देने का फैसला किया। मेरे तीनों बच्चे कोट्टामाला के गवर्नमेंट लोअर प्राइमरी स्कूल में पढ़े हैं। शिक्षकों ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया।
रामचंद्रन कहते हैं, मेरी पत्नी कमला, आदिवासी समुदाय से हैं और मैंने 5वीं तक पढ़ाई की है। मेरे पिता भी मजदूर थे और उनके पास बच्चों को शिक्षित करने के साधन नहीं थे। स्कूल आठ किलोमीटर दूर था और कोई उचित सड़क नहीं थी। जंगली जानवरों से भरे जंगलों से गुजरना पड़ा। हम स्कूल जाते भी तो कोई शिक्षक नहीं होता। कुछ साल पहले ही बिजली और पानी का कनेक्शन मिला। कमला और मैं दिहाड़ी मजदूर थे लेकिन हमने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा देने का फैसला किया। मेरे तीनों बच्चे कोट्टामाला के गवर्नमेंट लोअर प्राइमरी स्कूल में पढ़े हैं। शिक्षकों ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया।