संवैैधानिक मूल्यों की रक्षा मानहानि केवल एक अपवाद के रूप में देखा जा सकता है। कोर्ट का यह दायित्व बनता है कि संवैैधानिक मूल्यों की रक्षा करें। मानहानि उसके सार्वजनिक जीवन के लोकसेवक के कार्य के रूप में होनी चाहिए। इसमें दिए बयान केवल आलोचना के रूप में कहा जा सकता है। स्वामी ने अपने बयान में कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मछुआरों को लेकर तब के प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के अलावा कुछ नहीं किया।