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चेन्नई के डॉक्टरों का कमाल: एशिया में पहली बार कोविड-19 मरीज का लंग ट्रांसप्लांट कामयाब

locationचेन्नईPublished: Aug 29, 2020 07:44:03 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

यह कोविड-19 के मरीज में हुआ एशिया का पहला लंग ट्रांसप्लांट है।

Covid-19 patient undergoes bilateral lung transplant in Chennai

Covid-19 patient undergoes bilateral lung transplant in Chennai

चेन्नई.

चेन्नई के एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना से ठीक हुए 48 वर्षीय दिल्ली के बिजनेसमैन का लंग ट्रांसप्लांट किया, जिसके बाद मरीज को बेहतर जीवन जीने की आशा दिखाई दी। कोरोना संक्रमण के चलते दोनों फेफड़े बुरी तरह डैमेज हो चुके थे। हालत अधिक बिगडऩे पर उसे गाजियाबाद से चेन्नई के एमजीएच हेल्थकेयर अस्पताल लाया गया। यहां उसके दोनों फेफड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया। यह कोविड-19 के मरीज में हुआ एशिया का पहला लंग ट्रांसप्लांट है।

फेफड़े बुरी तरह डैमेज हुए
एमजीएच हेल्थकेयर अस्पताल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मरीज दिल्ली का रहने वाला है। 8 जून को उसकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उस समय फेफड़े का एक छोटा सा हिस्सा ही काम कर रहा था। कोरोना के संक्रमण के कारण उसके फेफड़े बुरी तरह से डैमेज हो चुके थे। संक्रमण के बाद डेढ़ महीने तक फेफड़े फायब्रोसिस की समस्या से जूझ रहे थे।

वेंटिलेटर सपोर्ट भी बेअसर
सांस लेने में बढ़ती दिक्कत और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर उसे 20 जून को वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। वेंटिलेटर सपोर्ट के बाद भी हालत बिगड़ती रही। इसके बाद उसे 20 जुलाई को गाजियाबाद से चेन्नई के एमजीएम हॉस्पिटल लाया गया। मरीज को 25 जुलाई से अगले एक महीने तक इक्मो सपोर्ट दिया गया। हालत में अधिक सुधार न होने पर डॉक्टर्स ने 27 अगस्त को लंग ट्रांसप्लांट किया। कोविड निमोनिया में इक्मो सपोर्ट लाइफसेविंग साबित हो सकता है

मरीज की हालत बेहतर
डॉ. बालाकृष्णन ने कहा, “पूरी टीम ने इस सर्जरी को करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी।” एमजीएम हेल्थकेयर के सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव ने कहा, “उनके दोनों फेफड़े अब अच्छी तरह से काम कर रहे हैं और हमने उन्हें अब ईसीएमओ सपोर्ट से हटा दिया है। उनकी स्थिति अब स्थिर है।

हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल पल्मनोलॉजी एंड चेस्ट मेडिसिन के क्लीनिकल डायरेक्टर अपार्थ जिंदल के मुताबिक, कोरोना के ऐसे मरीज जो कोविड निमोनिया से जूझते हैं उनमें वेंटिलेटर सपोर्ट भी बेहतर नतीजे नहीं देता है। ऐसे मामलों में शुरुआत में ही इक्मो सपोर्ट लाइफसेविंग साबित हो सकता है।

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