एक्सट्राकॉर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजिनेशन (ईसीएमओ) एक एडवांस तकनीक की यांत्रिक जीवन समर्थन (लाइफ सपोर्ट) मशीन है। ये शरीर से रक्त निकालता है, उसे ओक्सिजनेट करता है, उस रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड को निकालता है, फिर शरीर में रक्त को वापस करता है, जिससे रोगी के क्षतिग्रस्त अंग या दिल की गति ठीक हो जाती है।
यह अत्यंत दुर्लभ उपचार है क्योंकि ईसीएमओ समर्थन दो बार विशेष रूप से एक कोविड१९ संक्रमित रोगी के लिए लगाया गया था। एमजीएम हेल्थकेयर के इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सकुर्लेटरी सपोर्ट के निदेशक डॉ. के. आर. बालकृष्णन ने कहा कि राजकोट के ३७ वर्षीय मरीज को इस साल 12 अप्रैल को एमजीएम हेल्थकेयर में भर्ती कराया गया था। उनका कोविड निमोनिया का इलाज चल रहा था और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनका वजन ज्यादा था। और 25 मार्च को उनका कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया था। उन्हें ईसीएमओ पर रखा गया था। 11 अप्रैल को डॉक्टरों की एमजीएम टीम की सलाह और रोगी की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के बाद ईसीएमओ हटा लिया गया।
डा. बालकृष्णन ने कहा कि सपोर्ट सिस्टम के हटा दिए जाने के बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा था। लेकिन उसे फंगल इन्फेक्शन हो गया और उनकी हालत बिगडऩे लगी। चूंकि उनकी सांस फूल रही थी और उनकी ऑक्सीजन संतृप्ति कम थी, हमारे पास उनकी ऑक्सीजन संतृप्ति को बनाए रखने के लिए उन्हें दूसरी बार ईसीएमओ पर रखने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। धीरे-धीरे उनकी नैदानिक स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें दोबारा सपोर्ट सिस्टम से हटा दिया गया।
उन्होंने कहा कि उनके फेफड़े ठीक नहीं होने की स्थिति में हमारे पास फेफड़ों के प्रत्यारोपण के लिए बैकअप योजना भी थी। मरीज का फिजियोथेरेपी जारी है। मरीज को हाल ही में अस्पताल से छुट्टी मिली है। उनके स्वास्थ्य में सुधार के अच्छे संकेत दिख रहे हैं और वह जल्द ही राजकोट वापस जा सकेंगे।