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दिल्ली सरकार के पटाखों पर प्रतिबंध का असर तमिलनाडु के पटाखा उद्योग पर

locationचेन्नईPublished: Sep 22, 2021 11:40:08 pm

दिल्ली सरकार के पटाखों पर प्रतिबंध का असर तमिलनाडु के पटाखा उद्योग परपटाखा उद्योग का हब है तमिलनाडुकारोबारियों की मानें तो नौ सौ करोड़ के पटाखे खरीदते हैं दिल्लीवासी
 

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चेन्नई. कोरोना महामारी के चलते पहले से मार खा चुके तमिलनाडु के पटाखा उद्योग ने अब दिल्ली सरकार के पटाखों पर प्रतिबंध के फरमान ने कमर तोड़ दी है। पटाखा कारोबारियों का कहना है कि पटाखा उद्योग लगभग 6,000 करोड़ रुपए का है, जिसमें से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत है, जो कि 900 करोड़ रुपए है। तमिलनाडु के विरुदनगर एवं शिवकाशी के आसपास कोई एक हजार के आसपास पटाखा इकाइयां है। इस उद्योग पर निर्भर लोगों को उम्मीद है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। कुछ दिन पहले दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की चिंताओं को लेकर पटाखों की बिक्री, उपयोग, भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया था।
तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड अमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, पी गणेशन कहते है, दिल्ली सरकार के प्रतिबंध का आधार क्या है? पिछले साल कोविड -19 महामारी की पहली लहर के बाद, राजस्थान और दिल्ली सरकार सहित कुछ राज्यों ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। करोड़ों रुपए का अनबिका स्टॉक है। गणेशन कहते हैं, महामारी के चलते उत्पादन में कटौती हुई। ताजा ऑर्डर में कम से कम 40 फीसदी की गिरावट है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बाजारों में भी स्टॉक की गति बहुत सुस्त है।
इस बार कम मिल रहे ऑर्डर
शिवकाशी स्थित बक्सों के एक निर्माता ने कहा कि महीनों से आतिशबाजी के निर्माताओं से कोई नया आर्डर नहीं मिला है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि विरुदनगर जिले में और उसके आसपास कुल लगभग 8 लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए पटाखा उद्योग पर निर्भर हैं।
पटाखा उद्योग में अधिकांश महिलाएं
इसमें अकेले पटाखा निर्माण इकाइयों में तीन लाख कर्मचारी शामिल हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं। उद्योग और संबद्ध क्षेत्रों के लोग चाहते हैं कि दिल्ली सरकार अपने कदम पर पुनर्विचार करे। अगर अन्य राज्यों ने भी इस तरह के फरमान जारी किए तो हम बर्बाद हो जाएंगे।
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