राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन, देश भर से आए शिक्षाविदों ने साझा की अपनी बात
चेन्नईPublished: Dec 05, 2021 10:10:02 pm
राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलनदेश भर से आए शिक्षाविदों ने साझा की अपनी बात
Dakshin Bharat Hindi Prachar Sabha Madras
चेन्नई.शिक्षाविदों एवं साहित्यकारों ने कहा ग्रामीण परिवेश एवं ग्राम्यांचल की समस्याओं को मीडिया में कम जगह मिलती है। शहरीकरण पर अधिक ध्यान केन्द्रीय होने के चलते गांव, गरीब, किसान की समस्याएं उजागर नहीं हो पाती है। ऐसे में मीडिया में ग्रामीण क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान देकर वहां की समस्याओं को उजागर किया जाना चाहिए।
केन्द्रीय हिंदी निदेशालय तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास के उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान के संयुक्त तत्ववाधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय साहित्यिक परिसंवाद के दूसरे दिन यहां विभिन्न प्रपत्र वाचन के दौरान वक्ताओं ने अपनी बात रखी।
यहां टीनगर स्थित प्रचार सभा परिसर में आजादी का अमृत महोत्सवः गांधी दर्शन और हिंदी आन्दोलन विषयक परिसंवाद के दौरान देशभर से आए शिक्षाविदों ने कहा कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। महात्मा गांधी ने भी गांवों के विकास का सपना देखा था। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल होनी चाहिए।
विभिन्न विषयों पर रखे विचार
वक्ताओं ने इस मौके पर आजादी के संघर्ष में महात्मा गांधी और उनका हिंदी अस्त्र, महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम और हिंदी प्रचार आंदोलनःविविध भूमिकाएं और लक्ष्य, स्वतंत्र भारत के चहुंमुखी विकास में हिंदी की संविधान सम्मत सहयोजित भूमिका समेत अन्य विषयो पर अपने विचार व्यक्त किए।
समापन समारोह
तीन दिवसीय राष्ट्रीय साहित्यिक परिसंवाद के तहत विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा। समापन समारोह 6 दिसम्बर को दोपहर 2.30 बजे से होगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एच.एस.बुधौलिया होंगे। प्रचार सभा के प्रथम उपाध्यक्ष एच. हनुमंतप्पा समारोह की अध्यक्षता करेंगे।