उच्च न्यायालय में दायर अर्जी में मेलमंदै गांव के पी. सोलैअप्पन (४३) ने कहा कि वह ५ सितम्बर को मंदिर के वार्षिकोत्सव पर लोक नृत्य की प्रस्तुति दे रहा था। नृत्य के बाद जब वह घर लौटने लगा, उस वक्त सूरंकुड़ी सब-इंस्पेक्टर ने उसके बेटे कदीरवन को पकड़ा जो वहां अन्य प्रस्तुतियां देख रहा था।
याची का आरोप है कि एसआई ने उनको धमकाया कि एससी समुदाय के लोगों को मंदिर के वार्षिकोत्सव में शामिल नहीं होना चाहिए। साथ ही पुलिस अधिकारी ने जातिगत गाली-गलौज भी की। फिर उसके बेटे को थाने ले गए और पुलिसकर्मियों ने उसे गंभीर रूप से पीटा। घायल बेटे को उसने तुत्तुकुड़ी जीएच भर्ती कराया है।
इसके बाद पीडि़त के पिता ने विलातीकुलम न्यायिक मजिस्ट्रेट से शिकायत की।
पुलिस को इसकी भनक लगने पर अस्पताल प्रशासन पर दबाव बनाया गया कि घायल को डिस्चार्ज कर दिया जाए, लेकिन अस्पताल में अचानक उसे मिरगी का दौरा पड़ा जिससे उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ गया। फिर अभिभावकों को उससे मिलने नहीं दिया गया।
याची की अर्जी सुनते हुए हाईकोर्ट ने एसपी को जवाब पेश करने का आदेश दिया तथा साथ ही तुत्तुकुड़ी सरकारी अस्पताल के डीन को निर्देश दिया कि वह आईसीयू में भर्ती युवक से उसके अभिभावकों को मिलने दे।