तमिलनाडु की जनता अब रंग-बिरंगे प्लास्टिक के घड़ों के साथ गलियों में नजर आने लगी है। पानी भरने को लेकर संघर्ष की स्थितियां भी पैदा हो रही है। सरकार का दावा है कि महानगर में जलापूर्ति अप्रभावित रहेगी। लेकिन बुकिंग के बाद भी समय पर पानी नहीं पहुंच रहा है। जलस्रोतों के सूख जाने से हालात चरम पर हैं।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्पष्ट निर्देश है कि वे पीने के लिए घर से पानी लेकर आएं। वहीं आईटी कंपनियों में जहां लाखों की संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं और करोड़ों लीटर पानी की आवश्यकता होती है, में भी इस संकट का प्रभाव दिखाई दिया है।
इस कड़ी में लाखों लोगों को भोजन करा रहे होटलों व रेस्तरां की हालत भी बिगडऩे लगी है। पानी नहीं होने की वजह से फुटपाथी और गली-मोहल्लों की छोटी-छोटी दुकानें बंद होने लगी हैं। तैनाम्पेट की एक होटल जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में ग्राहक आते हैं एक सूचना देखकर चौंक गए कि पानी की कमी की भोजन की बिक्री बंद की जा रही है, उनको हो रहे कष्ट के लिए वे खेद प्रकट करते हैं।
होटल मालिकों की जल्द ही बैठक भी होने वाली है जहां जल प्रबंधन को लेकर चर्चा होगी। फिलहाल निजी जल वितरकों के रेट बढ़ा देने तथा सरकारी जलापूर्ति बराबर नहीं होने से इनका प्रतिदिन का खर्च २५ से ३० प्रतिशत बढ़ गया है। सरकार को जलसंकट निवारण के ठोस उपाय करने होंगे।