विंग महिलाएं तैनात
थलसेना 6,807 0.56%
वायुसेना 1,607 1.08%
नौसेना 704 6.5%
जयपुर से स्नातक प्रथम वर्ष की स्टूडेंट दीया जोशी कहती है कि बचपन से ही आर्मी में जाने का सपना था। सेना से रिटायर दादाजी की प्रेरणा से मैंने स्कूल में एनसीसी ज्वाइन की। अब मैं पूरी मेहनत से एनडीए परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि सेना में जरूर जाऊंगी।
भारतीय थल सेना की कैप्टन अन्नपूर्णा बताया कि पहले ओटीए में महिलाओं की एन्ट्री अब एनडीए में रास्ता साफ हो गया है। महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है, उन्हें लडऩा है। वे जब एकेडमी में जाएंगी तो सब कुछ सीख जाएंगी। उन्हें हर चीज बारीकी से बताई जाएगी। महिलाओं को यह अवसर मिला है तो वे इसका जरूर लाभ उठाएं।
सेना मेडल से सम्मानित कर्नल अजय मलिक ने कहा कि एनडीए में महिलाओं का प्रवेश निश्चित रूप से एक अच्छा कदम है। सेना में भी वे स्थाई कमीशन हासिल कर अपनी प्रतिभा दिखा सकेंगी। महिलाओं के आने से सेना में अधिकारियों की कमी पूरी होगी। चाहे बॉर्डर हो या युद्ध क्षेत्र महिलाएं भी पुरुषों की तरह योगदान देने में सक्षम और काबिल हैं।
बने नीति
बेटियों ने मेहनत और लगन से हर क्षेत्र में पहचान बनाई है। देश में प्रारंभिक शिक्षा में लैंगिक असमानता भी दूर हुई है। हालांकि उच्च शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में अभी भी कमी देखी जा रही है। अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण, 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रौद्योगिकी और तकनीकी से संबंधित पाठ्यक्रमों में छात्रों (71.1%) की अपेक्षा छात्राओं (28.9%) की भागीदारी काफी कम है। आगे भी इसके लिए नीति बनने की दरकार है।