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बेटियों ने रोशन किया नाम हर क्षेत्र में खास मुकाम

locationचेन्नईPublished: Oct 10, 2021 07:33:00 pm

शक्ति स्वरूपा बेटियां भारत का बढ़ा रहीं मान

बेटियों ने रोशन किया नाम हर क्षेत्र में खास मुकाम

बेटियों ने रोशन किया नाम हर क्षेत्र में खास मुकाम

चन्द्र प्रकाश सैन/चेन्नई. शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां का पर्व इस बार हमारी बेटियों के लिए खास है। बेटियों ने टोक्यो ओलंपिक से लेकर पैरालंपिक तक अपनी शक्ति का अहसास कराया। अब शक्तिस्वरूपा बेटियां सेना में स्थायी कमीशन लेकर हमारी ताकत बढ़ाएंगी। देश की शीर्ष परीक्षा यूपीएससी में भी बेटियों ने धूम मचाई है। इस परीक्षा में सफलता पाने वाले 761 अभ्यर्थियों में 216 बेटियां हैं। हाल ही में हुए ओलंपिक खेलों में भारत के कुल सात पदकों में तीन पदक बेटियों के नाम है।
अभिभावक अब बेटा-बेटी की सोच से अलग बेटियों को शिक्षा दे रहे हैं। निजी स्तर पर भी बालिका स्कूलों की संख्या बढ़ी है। लोग बेटियों को पढऩे विदेश भेज रहे हैं। केन्द्रीय विद्यालय में सिंगल गर्ल चाइल्ड की नि:शुल्क शिक्षा के साथ स्कॉलरशिप भी दी जा रही है।
मिलेगा स्थाई कमीशन
शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं 14 साल तक सर्विस के बाद रिटायर हो जाती हैं। अब स्थाई कमीशन के बाद महिला अफसर आगे भी अपनी सर्विस जारी रख सकेंगी और रैंक के मुताबिक ही उन्हें रिटायरमेंट मिलेगा। इसके अलावा सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिल पाएगा।

भारत में तीनों रक्षा बलों में कुल 9,118 महिलाएं कार्यरत हैं

विंग महिलाएं तैनात
थलसेना 6,807 0.56%
वायुसेना 1,607 1.08%
नौसेना 704 6.5%

जयपुर से स्नातक प्रथम वर्ष की स्टूडेंट दीया जोशी कहती है कि बचपन से ही आर्मी में जाने का सपना था। सेना से रिटायर दादाजी की प्रेरणा से मैंने स्कूल में एनसीसी ज्वाइन की। अब मैं पूरी मेहनत से एनडीए परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि सेना में जरूर जाऊंगी।
भारतीय थल सेना की कैप्टन अन्नपूर्णा बताया कि पहले ओटीए में महिलाओं की एन्ट्री अब एनडीए में रास्ता साफ हो गया है। महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है, उन्हें लडऩा है। वे जब एकेडमी में जाएंगी तो सब कुछ सीख जाएंगी। उन्हें हर चीज बारीकी से बताई जाएगी। महिलाओं को यह अवसर मिला है तो वे इसका जरूर लाभ उठाएं।
सेना मेडल से सम्मानित कर्नल अजय मलिक ने कहा कि एनडीए में महिलाओं का प्रवेश निश्चित रूप से एक अच्छा कदम है। सेना में भी वे स्थाई कमीशन हासिल कर अपनी प्रतिभा दिखा सकेंगी। महिलाओं के आने से सेना में अधिकारियों की कमी पूरी होगी। चाहे बॉर्डर हो या युद्ध क्षेत्र महिलाएं भी पुरुषों की तरह योगदान देने में सक्षम और काबिल हैं।

बने नीति

बेटियों ने मेहनत और लगन से हर क्षेत्र में पहचान बनाई है। देश में प्रारंभिक शिक्षा में लैंगिक असमानता भी दूर हुई है। हालांकि उच्च शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में अभी भी कमी देखी जा रही है। अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण, 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रौद्योगिकी और तकनीकी से संबंधित पाठ्यक्रमों में छात्रों (71.1%) की अपेक्षा छात्राओं (28.9%) की भागीदारी काफी कम है। आगे भी इसके लिए नीति बनने की दरकार है।

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