मारन ने विमुद्रीकरण को मानव निर्मित महामारी बताते हुए जीएसटी क्षतिपूर्ति विवाद पर केंद्र सरकार की नीति की जमकर आलोचना की। उनका आरोप है कि बकाया भुगतान रोकने के साथ ही अब केंद्र राज्यों का कर्ज के बोझ तले दबाना चाहती है।
लोकसभा सांसद ने जीएसटी नुकसान को ‘भगवान का कियाÓ बताने के केंद्र सरकार के मत पर आपत्ति जताई इसी दृष्टिकोण की वजह से अर्थव्यवस्था बेपटरी हुई है। जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून के तहत राज्यों को आय की क्षति का भुगतान २०२२ तक किया जाना है। तमिलनाडु की बात की जाए तो १२२५० करोड़ से अधिक की राशि बकाया है।
उन्होंने कहा इस राशि पर राज्य का हक है।
तमिलनाडु की जनता को इस राशि की जरूरत है ताकि प्रदेश सरकार उनके हित में कोई पैकेज अथवा योजना बना सके। महामारी के वक्त तो राज्य के पास अधिक व्यय शक्ति होनी चाहिए। राज्यों का भुगतान विलम्ब कर उनकी स्वायत्तता और महामारी प्रबंधन की क्षमता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।