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गुरु भक्ति के लिए समर्पण जरूरी

locationचेन्नईPublished: Oct 29, 2018 12:28:54 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में रविवार को गुरु फतेहचंद की 57वीं पुण्यतिथि, उपाध्याय पुष्करमुनि की 109वीं और प्रवर्तक मदनमुनि की 67वीं जयंती आयोजित की गई।

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गुरु भक्ति के लिए समर्पण जरूरी

चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में रविवार को गुरु फतेहचंद की 57वीं पुण्यतिथि, उपाध्याय पुष्करमुनि की 109वीं और प्रवर्तक मदनमुनि की 67वीं जयंती आयोजित की गई। जयंती समारोह की अध्यक्षता मूलचंद मोदी ने की, समारोह गौरव दीपचंद लूणिया थे। इस मौके पर गौतममुनि ने कहा परमात्मा के प्रति श्रद्धा रखने वालों का जीवन मंगल हो जाता है। जब मनुष्य दिल से परमात्मा की भक्ति करता है तब उसका मन परमात्मा का हो जाता है। सच्ची भक्ति से ही नमन का पता चलता है। बिना समर्पण के जीवन में कोई भी मनुष्य गुरु भक्ति नहीं कर सकता। ऐसे ही पुष्कर मुनि ने खुद को गुरु भक्ति में समर्पित कर जीवन को रंगीन कर लिया था। उन्होंने मिन्ट स्ट्रीट स्थित स्थानक के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाने के लिए संघ अध्यक्ष और उनकी टीम की सराहना की। अगर कोई काम हम नहीं कर सकते तो उसमें रुकावट भी नहीं बनकर वरिष्ठ लोगों को आगे आकर उनका समर्थन करने का प्रयास करना चाहिए। सागरमुनि ने कहा मनुष्य के आचरण से ही उसके जीवन में परिर्वतन आता है। परिर्वतन होने से मनुष्य नही बल्कि उसका जीवन बदलता है। जीवन में प्रत्येक प्राणी आनंद और मंगल की कामना करता है। जीवन में सफल वही होता है जो देखकर आगे बढऩे का प्रयास करता है। फतेहचंद, पुष्करमुनि और मदनमुनि के जीवन में हमे यही संदेश मिलता है, जो पुरुषार्थ करेगा वही आगे बढ़ेगा। विनयमुनि में मंगलपाठ सुनाया। इससे पहले गुरु फतेहचंद की 57वीं पुण्यतिथि, उपाध्याय पुष्करमुनि की 109वीं और प्रवर्तक मदनमुनि की 67वीं जयंती पर गुणानुवाद हुआ। विभिन्न जगहों से आए लोगों ने अपने विचार प्रकट किए। इस मौके पर उपस्थित होकर महासती मधुस्मिता ने भी उद्बोधन दिया। गौतममुनि के एकांत मौन साधना करने को लेकर अभिनंदन समारोह के तहत आचार्य पूर्णानंदसागर, विनयमुनि और संघ के पदाधिकारियों ने गौतममुनि का चादर ओढ़ाकर सम्मान किया। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी, सहमंत्री पंकज कोठारी, कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ के अलावा रिखबचंद बंब, सरदारमल नाहटा पीह, शांतिलाल संचेती बदनोर, पुखराज जयंतिलाल बागरेचा, जसराज सिंघवी, पृथ्वीराज बागरेचा, जुगराज ज्ञानचंद नाहर एंड संस, प्रसन्नचंद और सुनील मूथा सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। संचालन मंगलचंद खारीवाल ने किया।
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