न्यायाधीश एम. सत्यनारायण एवं न्यायाधीश और न्यायाधीश आर. हेमलता की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग एवं केन्द्र सरकार से इस बारे में इस कानून को प्रभावी बनाने के संबंध में जानकारी मांगी। सरकारी अधिवक्ता द्वारा इसके लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग पर न्यायालय ने अगली सुनवाई 5 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अभी इस अधिनियम के तहत केवल तीन साल की सजा का प्रावधान है जबकि मूर्तियों की कीमत कई बार करोड़ों में होती है। ऐसे में सजा बहुत कम है। सजा की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए। भारतीय पुरातत्व विभाग इसके लिए प्राधिकृत है। जिस अनुपात में मूर्ति चोरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उस अनुपात में देखा जाए तो इन मामलों की छानबीन करने क ेलिए अधिकारियों की बहुत कमी है।
याचिकाकर्ता ने अधिनियम में संशोधन की मांग करते हुए ऐसे मामलों की जांच निरीक्षक एवं ऊपर के अधिकारियों से ही कराने की मांग की। साथ ही उन्होंने एक पूर्व विशेष अधिकारी का पत्र भी दस्तावेज के रूप में पेश किया।