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चीन से सस्ते एपीआई की निर्भरता सुरक्षा व्यवस्था को करती है लाचार

locationचेन्नईPublished: Oct 09, 2020 06:55:18 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है, विशेषकर गालवान घाटी के तनाव के बाद, तो यह निर्भरता हमें चीन को सुरक्षा और अन्य उल्लंघनों पर प्रभावी ढंग से जवाब देने में बाधा डालती है। साथ ही यह हमारे रोगियों को अधिकतर मौकों पर घटिया स्तर की दवाओं के इस्तेमाल अथवा बिना दवाओं के रहने पर विवश कर देती है।

चीन से सस्ते एपीआई की निर्भरता सुरक्षा व्यवस्था को करती  है लाचार

चीन से सस्ते एपीआई की निर्भरता सुरक्षा व्यवस्था को करती है लाचार

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि फार्मास्युटिकल Pharmaceutical की सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के लिए भारत का चीन पर निर्भर होना सुरक्षा व अन्य मसलों पर पड़ोसी मुल्क के विश्वास तोडऩे की स्थिति में उसे लाचार कर देता है।
न्यायालय ने कहा कि अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है, विशेषकर गालवान घाटी के तनाव के बाद, तो यह निर्भरता हमें चीन को सुरक्षा और अन्य उल्लंघनों पर प्रभावी ढंग से जवाब देने में बाधा डालती है। साथ ही यह हमारे रोगियों को अधिकतर मौकों पर घटिया स्तर की दवाओं के इस्तेमाल अथवा बिना दवाओं के रहने पर विवश कर देती है।

अदालत के अनुसार, सस्ते एपीआई आयात के आर्थिक लाभ के कारण भारत उसकी वैज्ञानिक बढ़त और आत्मनिर्भरता गंवा रहा है। वह अभी एपीआई आवश्यकताओं का आयात करने व समाप्त खुराक (फिनिशड डोज) की धुरी मात्र बनकर रह गया है। न्यायालय ने एक मंच पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की केंद्र सरकार को दी गई चेतावनी का संदर्भ भी दिया कि एक राष्ट्र विशेष पर आयात को लेकर अतिरिक्त निर्भरता देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हो सकती है।

न्यायाधीश एन. कृपाकरण ने चेन्नई की निजी कंपनी विंकेम लैब्स लिमिटेड की दो रिट याचिकाओं पर दिए २२६ पृष्ठ के फैसले में कैंसर की दवाओं में आत्मनिर्भरता हासिल करने तथा विदेशी मुद्रा अर्जन के उपाय सुझाने के लिए ५ सदस्यीय समिति के गठन का आदेश भी दिया।

याची का आग्रह था कि केंद्रीय फार्मास्युटिकल और वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिवीय स्तर के अधिकारियों की सदस्यता वाली समिति का गठन किया जाए जो कैंसर की दवाओं की खोज में सक्रिय कंपनियों को सभी तरह की मदद और सुविधाएं उपलब्ध कराने के उपाय करे।

पलायन रोकना जरूरी

हाईकोर्ट ने याची के आरोप कि केंद्र सरकार, बैंकों व अन्य अंशधारकों से वित्तीय मदद नहीं मिल पा रही है को रेखांकित किया। जज कृपाकरण ने कहा कि हम पहले ही कुशाग्र लोगों को अन्य देशों में गंवा चुके हैं। अब यह महत्वपूर्ण समय है जब हम याची जैसे विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों को आवश्यक सहायता व प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर पलायन रोकें।

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