scriptपारम्परिक ऊर्जा पर घट रही भारत की निर्भरता : भानुप्रताप यादव | Dependence of India falling on traditional energy: Bhanupratap Yadav | Patrika News

पारम्परिक ऊर्जा पर घट रही भारत की निर्भरता : भानुप्रताप यादव

locationचेन्नईPublished: Dec 11, 2018 03:48:57 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

पारम्परिक ऊर्जा स्रोत पर भारत की निर्भरता पिछले कुछ सालों से घटती जा रही है।

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पारम्परिक ऊर्जा पर घट रही भारत की निर्भरता : भानुप्रताप यादव

चेन्नई. पारम्परिक ऊर्जा स्रोत पर भारत की निर्भरता पिछले कुछ सालों से घटती जा रही है। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा संकेत है जो कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उस पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहे हैं। चेन्नई में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (एनआईडब्ल्यूई) द्वारा ‘स्माल विंड टर्बाइन’ पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर संबोधित करते हुए केन्द्रीय नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव भानु प्रताप यादव ने कहा वर्ष २०२२ तक हमारा लक्ष्य है कि हम १७५ गीगा वाट ऊर्जा का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से करें। इसमें से अब तक ७३ गीगा वाट उत्पादन का लक्ष्य हमने हासिल किया है। उन्होंने बताया कि वर्ष २०३० तक हमारा लक्ष्य है कि १/३ कार्बन का उत्पादन हम कर दें जिस पर भी युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है और समय रहते हम इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
यादव ने बताया कि पवन ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में विश्वभर में भारत चौथे स्थान पर आता हैजबकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम पांचवें स्थान पर आते हैं और वही नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पांचवें स्थान पर हैं। भारत में पवन ऊर्जा की अभी काफी सम्भावनाएं हैं, जिससे न केवल पारम्परिक ऊर्जा पर निर्भरता घटेगी बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर हम किस प्रकार द्वीपों जैसे अंडमान निकोबार द्वीप आदि में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की जाय इस पर विचार किया जा रहा है। यही नहीं लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में कैसे सौर और पवन ऊर्जा को बिजली आपूर्ति की प्रमुख व्यवस्था बनाया जाय इस पर भी विचार किया रहा है। आशा करते हैं इस तीन दिवसीय सम्मेलन में काफी कुछ ऐसा निकल कर आएगा जिससे न केवल भारत बल्कि अन्य देशों को भी इसका फायदा मिले।
सम्मेलन के दौरान पैनल चर्चा में शिरकत करते हुए एनआईडब्ल्यूई के उपमहानिदेशक डा. राजेश कटयाल ने कहा कि मौजूदा दौर में स्मॉल, माइक्रो और नैनो टर्बाइन का व्यवहार काफी कम है। इसके विकास के लिए जरूरी है कि इसमें उद्योग जगत से जुड़े कुछ बड़े नाम आगे आएं। इससे न केवल इसके व्यवहार का विस्तार होगा बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। हमें इस क्षेत्र में अभी काफी कुछ करने की जरूरत है जैसे स्थान विशेष के आधार पर डिजाइन में बदलाव व विस्तार। इसमें सरकार की ओर से भी कुछ अहम कदम उठाने की जरूरत है, जैसे नेट मीटर आदि का उपयोग। इसके ऑपरेशन व मेंटीनेेंस के लिए उपयुक्त कौशलयुक्त युवाओं को तैयार करना ताकि स्थानीय स्तर पर इससे जुड़ी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा सके। गौरतलब है कि इस सम्मेलन में ४० देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेने आए हैं। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अनुभव व तकनीक को साझा कर पवन ऊर्जा पर बिजली आपूर्ति की निर्भरता बढ़ाई जाय।
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