आज मानव आधुनिक साधनों में बहुत अधिक व्यस्त जबकि धर्माराधना में प्रमाद से ग्रस्त हो गया है। धर्म के बिना जीवन शून्य के समान है। धर्म है तो सब कुछ है। धर्म के लिए सम्मान ही नहीं समाधान भी चाहिए। ऊंचाई नहीं सच्चाई चाहिए। धर्म एक ऐसा साथ है जो कभी साथ नहीं छोड़ता।
साध्वी इमितप्रभा ने कहा यदि जीवन का निर्माण करना है तो पांच सूत्र अपनाने होंगे-अनुशासन, समयबद्धता, कठिन परिश्रम, संकल्प और विनम्रता। शुक्रवार को साध्वीवृंद यहां से प्रस्थान कर रिखबचंद, गौतमचंद व आनंदकुमार लोढा के निवास पर जाएंगी।