जिन भाव और क्रियाओं से नये कर्मो का आगमन रुक जाए और पुराने कर्म निर्जरित हो जाये ऐसा आचरण ही वास्तविक धर्म की श्रेणी में आता है। मुनि ने कहा कर्नाटक केसरी गणेशीलाल महान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने जनमानस में व्याप्त मिथ्यात्व के अंधकार को दूर करके सम्यकत्व के प्रकाश से अंतर्मन को आलोकित किया और धर्म का विशुद्ध स्वरूप समझाकर जन जन को धर्म से जोडऩे का प्रयास किया। उन्होंने कभी भी सिद्धान्तों से समझौता नहीं किया। वे वीतराग मार्ग के साधक शिरोमणि व भारतीय संत परम्परा के ज्योतिर्मय नक्षत्र थे। जीवन रूपी सरिता के जन्म और मृत्यु दो किनारे हैं।
महत्व किनारों का नहीं उनके बीच बहने वाली नदी का होता है। उन्हीं का मरण स्मरण के योग्य होता है जिनका जीवन संयमित और समाधिस्थ होता है। उनकी कथनी और करनी में एकरूपता थी। मुनि शनिवार सवेरे यहां से विहार करके मईलापुर स्थित महेन्द्र कुमार बैद के निवास पर पहुंचेंगे जहां प्रार्थना, धर्मचर्चा आदि विविध धार्मिक कार्यक्रम होंगे। संचालन राजकुमार कोठारी ने किया।