सरकार ने एमजीआर के जन्मशती वर्ष के मौके पर राज्यभर की जेलों से आचरण के आधाण पर १८०० कैदियों को छोडऩे का निर्णय किया था जो उम्रकैद की सजा प्राप्त हैं और जेल में न्यूनतम दस साल काट चुके हैं। इस सूची में बस आगजनी मामले के मुनियप्पन, नेदुंचेझियन और मधु उर्फ रविंद्रन का नाम भी शामिल था। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पहले इन तीनों की रिहाई से जुड़ी फाइल सरकार को पुनर्विचार के लिए लौटा दी थी।
गृह विभाग की ओर से स्पष्टीकरण भेजने के साथ फिर से राज्यपाल से इनकी रिहाई के आदेश जारी करने को लेकर आग्रह किया गया । इसके बाद सरकार से आई फाइल को राज्यपाल ने अनुमति दे दी ।
गौरतलब है कि इन तीनों को पहले कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने भी पुष्टि कर दी थी। फिर समीक्षा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया ।
सूत्रों के अनुसार जेल विभाग के अपर निदेशक कार्यालय से सुबह साढ़े ग्यारह बजे वेलूर केंद्रीय कारागार को इनकी रिहाई का फैक्स किया गया । बताया गया है कि फैक्स आने के एक घंटे के भीतर सभी औपचारिकताएं पूरी कर मुनियप्पन, नेदुंचेझियन और रविंद्रन को जेल से छोड़ दिया गया ।