मुम्बई के जैनम वारिया ने संयम गीत पेश किए। मनोज राठौड़ ने सभी दीक्षार्थियों का परिचय दिया और मुमुक्षुओं ने खड़़े होकर दीक्षा का आमंत्रण दिया। इन 72 दीक्षार्थियों में 10 से 20 वर्ष के 33 एवं 20 से 30 वर्ष के 22 मुमुक्षु शामिल थे ।
27 मुमुक्षुओं ने अपने उद्बोधन में कहा परिवर्तन के पीछे माता पिता के संस्कार, विशेष गुरुकुलवास, उपधान तप, वाचना, परिवार से दीक्षित साधु भगवंत का विशेष योगदान रहा। सभी दीक्षार्थियों ने कार्यक्रम की अनुमोदना करते हुए कहा की चेन्नई में ही ऐसे विरले आयोजन देखने को मिलते है। मनोज राठौड़ ने संचालन किया।