इस मौके पर मुनि तीर्थ तिलकविजय ने कहा जिस तरह शत्रुंजय गिरिराज सर्वश्रेष्ठ क्षेत्र है, उसी प्रकार जिस काल में परमात्मा की भक्ति हो वह सर्वश्रेष्ठ काल है। सर्वश्रेष्ठ भाव नमस्कार व नम्रता का भाव है तो सर्वश्रेष्ठ द्रव्य वीतराग परमात्मा है। आपको आज से परमात्मा के अभिषेक में उपयोग होने वाले इस जल की शुद्धि अपने घर में मुनिसुव्रत स्वामी परमात्मा का शुद्ध भावों के साथ जाप करके करना है।
मुनि तीर्थरुचिविजय ने कहा परमात्मा के पंच कल्याणक व 10-10 मुमुक्षुओं की दीक्षा के महामहोत्सव में सुन्दर माहौल बनाने के लिए सबको जुडऩा है। जितना ज्यादा भावों के साथ जाप होगा, महोत्सव का माहौल उतना ही उत्कृष्ट होगा।