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बजट सत्र के बीच ही डीएमके ने सदन का किया बहिस्कार

locationचेन्नईPublished: Feb 23, 2021 07:08:58 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने वित्त वर्ष 2021-२२ के लिए अंतरिम बजट पेश किए जाने के दौरान मंगलवार को विधानसभा सत्र का बहिस्कार कर दिया।

बजट सत्र के बीच ही डीएमके ने सदन का किया बहिस्कार

बजट सत्र के बीच ही डीएमके ने सदन का किया बहिस्कार


-कहा सत्तारूढ़ दल के रूप में सदन में करेंगे वापसी
चेन्नई. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने वित्त वर्ष 2021-२२ के लिए अंतरिम बजट पेश किए जाने के दौरान मंगलवार को विधानसभा सत्र का बहिस्कार कर दिया। बजट एवं अग्रिम अनुदान मांग पेश करने के लिए जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल ने राज्य के उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को अंतरिम वित्तीय बयान पेश करने के लिए बुलाया। इससे पहले ही डीएमके उपमहासचिव दुरैमुरुगन खड़े हुए और पार्टी का रूख रखने के लिए सदन से अनुमति मांगी।

 

जिसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि बजट को सदन के पटल पर रखा जाए और डीएमके नेता जो भी कह रहे हैं वह रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। जिसके बाद पार्टी के अन्य नेता भी खड़े हुए और अध्यक्ष से दुरैमुरुगन को पार्टी का रूख रखने की अनुमति देने की मांग की। लेकिन किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देने के बजाय उपमुख्यमंत्री ने बजट पढऩा शुरू कर दिया। इस बात से नाराज होकर डीएमके सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट कर दिया। सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में दुरैमुरुगन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में डीएमके जीत दर्र्ज करेगी और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के मुख्यमंत्री बनने पर सदन में वापसी करेंगे। उन्होंने कहा कि एआईएडीएमके सरकार ने राज्य के विकास को 50 साल पीछे कर दिया है। डीएमके की सत्ता आने के बाद सब कुछ ट्रैक पर आ जाएगा। डीएमके शासनकाल के दौरान राज्य पर 1 लाख करोड़ का कर्ज था, लेकिन अब वह कर्ज 5.७ लाख हो चुका है।

 

इस प्रकार से एआईएडीएमके सरकार ने राज्य की जनता के साथ धोखा किया है। राज्य की जनता को विस चुनाव में एआईएडीएमके को सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डीएमके की सत्ता आते ही एआईएडीएमके के भ्रष्टाचारों की जांच कर आरोपी पाए जाने पर सजा दी जाएगी। डीएमके के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने भी सदन का बहिस्कार कर दिया। कांग्रेस विधायक विजयाधरनी ने कहा हम लोगों ने सदन का इसलिए बहिस्कार किया, क्योंकि सरकार ऐसी योजनाओं की घोषणा कर रही है, जो अपने इस कार्यकाल में शुरू नहीं करेगी। इसके अलावा सरकार पर 5 लाख करोड़ का लोन है जो इस कार्यकाल में पूरा नहीं होगा। राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है और तमिलनाडु को सही से समर्थन नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार ने राज्य से गरीबी मिटाने की ओर किसी प्रकार का कदम नहीं उठाया और सरकार द्वारा घोषित विभिन्न योजनाएं लोगों तक पहुंची ही नहीं।

 

उन्होंने आरोप लगाया कि ना तो केंद्र और ना ही राज्य सरकार ने राज्य की जनता के लिए कुछ बेहतर किया। तमिलनाडु आमतौर पर फॉरवर्ड स्टेट कहलाता था, लेकिन पिछले दस वर्षों में यह स्थिति उस स्तर तक गिर गई है, जहां इसे पिछड़ा राज्य कहा जाने लगा है। सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में राज्य की जनता के लिए कुछ महत्वपूर्ण नहीं है।

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