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डीएमके ढ़लता हुआ नहीं बल्कि खिलता हुआ सूरज: स्टालिन

locationचेन्नईPublished: Jan 06, 2020 04:29:22 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

 
Stalin and other members walk out of the House on the first day of the session
सत्र के पहले दिन स्टालिन समेत अन्य सदस्यों ने सदन से किया वॉक आउट

डीएमके ढ़लता हुआ नहीं बल्कि खिलता हुआ सूरज: स्टालिन

डीएमके ढ़लता हुआ नहीं बल्कि खिलता हुआ सूरज: स्टालिन

 

राज्यपाल ने स्टालिन से अपील की

इस पर राज्यपाल ने स्टालिन से अपील की कि वह अपनी सीट पर बैठ जाएं। उन्होंने कहा आप सर्वश्रेष्ठ वक्ता हैं। अपनी इस प्रतिभा का उपयोग बहस के दौरान करें। इस सदन में बहस होने दें। लेकिन स्टालिन ने कहा कि हमे अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। जब राज्यपाल ने अपनी अपील दोहराई तो स्टालिन सदन से बाहर चले गए और उनके पीछे-पीछे उनकी पार्टी के अन्य सदस्य भी बाहर चले गएा। इसके अलावा राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके विधायक तमिमम अंसारी, आईयूएमएल के विधायक अबु बकर, कांग्रेस सदस्य और एएमएमके नेता टीटीवी दिनकरण समेत अन्य विपक्षी दल के सदस्य भी सदन से वॉकआउट कर दिया। विरोध के बीच राज्यपाल ने संबोधन में कहा तमिलनाडु की सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी धर्मों और पंथों के नागरिकों के हितों की रक्षा हो।

राज्य केंद्र से अनुरोध करे

राज्य केंद्र से अनुरोध करे कि वह तमिलनाडु में आए श्रीलंका के शरणार्थियों को दोहरी नागरिकता दे। सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में स्टालिन ने कहा पिछले सप्ताह राज्य के मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा था कि डीएमके एक ढ़लता हुआ सूरज है। जबकि ऐसा नहीं है डीएमके ढ़लता हुआ नहीं बल्कि खिलता हुआ सूरज है। ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद ही जयकुमार ने यह टिप्पणी की थी। स्टालिन ने कहा कि पिछले साल डीएमके के पास ८९ विधायक थे लेकिन अब १०० विधायक हैं। लोकसभा में डीएमके के २४ सांसद है। वर्ष २०११ में १ हजार ७ पंचायत यूनियन के पार्षद थे लेकिन वर्तमान में डीएमके के पास २१०० पंचायत यूनियन के पार्षद हैं। वर्ष २०११ में डीएमके के पास ३० जिला काउंसलर थे लेकिन अब २४३ हैं। इससे ही पता चलता है कि डीएमके ढ़लता हुआ सूरज है या खिलता हुआ सूरज है। उन्होंने कहा कि राज्य का कर्ज ४ लाख करोड़ हो गया है।

 

किसी प्रकार का विकास नहीं हो रहा

राज्य में औद्योगिक और रोजगार के अवसर में किसी प्रकार का विकास नहीं हो रहा है। इसके अलावा देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आरोपियों की रिहाई को लेकर किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। इन सब को छोड़ कर एआईएडीएमके सरकार ने सीएए के पक्ष में वोट कर श्रीलंकाई तमिलों और अल्पसंख्यकों के साथ धोखा किया है।

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