उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच राज्य सरकार द्वारा की गई मांग के अनुसार केंद्र सरकार ने कोष भी आवंटित नहीं किया। जिसके लिए डीएमके और उसके सहयोगी दल के नेता और कार्यकर्ता काली पट्टी पहन कर अपने घर के बाहर खड़े होकर पांच मिनट तक नारेबाजी करेंगे। इस दौरान प्रत्येक जगह पर सिर्फ पांच लोग ही उपस्थित होंगे। उन्होंने कहा कि द्रविडऩ कषगम के नेता के. वीरानम, एमडीएमके संस्थापक वाइको, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के.एस. अलगिरी, सीपीआई एम राज्य सचिव के. बालकृष्णन, सीपीआई राज्य सचिव आर. मुत्तरसन, वीसीके प्रमुख तोल. तिरुमावलवन, इंडियन यूनियन मुस्लिम लिग के नेता के.एम. कादीर मोहीदीन, एमएमके नेता एमएच जवाहीरुल्ला, केएमडीके नेता ई.आर. इश्वरन और आईजेके नेता रवि पंच्चमुत्तु ने धरने के निर्णय का समर्थन किया। स्टालिन ने कहा कि कोरोना वायरस का तेजी से प्रसार हो रहा है और लोगों में डर का माहौल बन गया है। अगर पॉजीटिव मरीजों की संख्या इसी स्तर से बढ़ती रही तो हमे नहीं पता कि यह कहां तक जाएगा। सरकार के पास लोगों के भविष्य को लेकर स्पष्ट विचार का अभाव होने का आरोप लगाते हुए स्टालिन ने कहा सरकार पारदर्शी होने के बजाय समस्या को कवर करने की कोशिश कर रही है।
सरकार बीमारी का मुकाबला करने और वायरस से प्रभावित होने की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए चिकित्सा बुनियादी ढांचा बनाने में विफल रही है। यह एक अज्ञात शत्रु के साथ की लड़ाई है और इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार दिहाड़ी और प्रवासी मजदूरों को पर्याप्त सहायता देने में विफल हो रही है और शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय लिया है, जो कि सख्ती से निंदनीय है।