-अन्य सभी ताकतें राज्य सरकार के अधीन होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि डीएमके शासनकाल के दौरान न्यायाधीश पी.वी. राजामन्नार के नेतृत्व वाली कमेटी से मांग कि गई थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी मसले, अंतरराज्य परिवहन और मुद्रा को छोड़कर अन्य सभी ताकतें राज्य सरकार के अधीन होनी चाहिए। ऐसे में केंद्र सरकार की योजना, जिसमें केंद्र ने राज्यों और जिलों को समाप्त कर 200 जनपथ करने की योजना बनाई है, का विरोध किया जाएगा।
–राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का है
केंद्र से इस तरह की योजना को छोडऩे का भी आग्रह किया। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का है जो मौजूदा शासन संरचना को नष्ट कर २०० जनपथ के साथ नई और एकल संरचना तैयार करना चाहती है। बैठक में पारित हुए २१ प्रस्तावों में से जनपथ के विरोध में स्टालिन ने विशेष प्रस्ताव पारित किया। स्टालिन ने कहा कि वित्त, शिक्षा, सब्सिडी और लोन लेने के मामले में राज्य सरकार को और पॉवर मिलना चाहिए। केंद्र सरकार को बड़े भाई की तरह काम करना बंद करना चाहिए।
–जीएसटी और नोटबंदी की वजह से आर्थिक मंदी आइ
पारित हुए प्रस्ताव में देश के आर्थिक मंदी के लिए भी केंद्र सरकार की निंदा की गई। स्टालिन ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी की वजह से आर्थिक मंदी आई है जिसे सही मार्ग पर लाने के लिए तत्काल कदम की जरूरत है। केंद्र को कम से कम अब अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एक अन्य प्रस्ताव में निजी सेक्टरों में नौकरी के लिए आरक्षण की मंाग करने के साथ आरक्षण के लिए आर्थिक मापदंड शुरू करने की निंदा की। डीएमके ने केंद्र से मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को वापस लेने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह हिन्दी और संस्कृत थोपने का प्रयास है। आयकर विभाग द्वारा छापेमारी के बाद भी सत्तारूढ पार्टी के नेताओं को बचाने के लिए डीएमके ने केंद्र सरकार की निंदा की। डीएमके ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के लिए केंद्र को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि अध्यन में २०५० तक चेन्नई समेत कई अन्य शहर के पानी में होने का दावा किया गया है।
–कश्मीर क्षेत्र को विशाल जेल में बदल दिया
बैठक में पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र ने जम्मू कश्मीर क्षेत्र को विशाल जेल में बदल दिया है। साथ ही पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सहित गिरफ्तार किए गए सभी नेताओं को रिहा करने की मांग की। जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर केंद्र के कदम की आलोचना करते हुए स्टालिन ने केंद्र से लोगों की भावनाओं का सम्मान करने की मांग की। पार्टी ने एक प्रस्ताव लाया, जिसमें जम्मू कश्मीर विधानसभा की मंजूरी के बिना और वहां के लोगों की राय जाने बिना अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने और क्षेत्र को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की आलोचना की गई। बैठक में दुरैमुरुगन, टी आर बालू, दयानिधि मारन और कनिमोझी समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया ।