क्या है इतिहास
इस सीट पर तेवर कम्युनिटी का वर्चस्व ज्यादा है। जिस किसी ने भी इस कम्युनिटी के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, उसकी जीत हुई है। दिंडीगुल को एआईएडीएमके का गढ़ माना जाता रहा है। गढ़ होने की वजह से ही एआईएडीएमके को 1984, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2014 में जीत मिली थी। पार्टी को लगातार 35 से 40 फीसदी वोट मिलते रहे हैं। यहां तक कि इस इलाके को एमजीआर का किला भी कहा जाता रहा है। दो पत्तियां वोटर्स की पहली पसंद साबित होती रही है लेकिन राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जे.जयललिता के निधन से एआईएडीएमके को बड़ा झटका लगा है। इस बार के परिणाम ने लोगों के चेहरे का रंग ही बदल कर रख दिया।
जल्द ही भाजपा ईपीएस की जगह देगी ओपीएस को : एएमएमके
. लोकसभा चुनाव और राज्य की २२ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम आने के बाद शुक्रवार को अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम के नेता तंग तमिलसेल्वन ने दावा करते हुए कहा कि भाजपा द्वारा जल्द ही राज्य के मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी की जगह उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को सौंपी जाएगी।
यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा ओपीएस ने अपने बेटे ओ.पी. रविन्द्रनाथ को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंत में सफल हो गए। इसी बीच एआईएडीएमके नेता और मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि राज्य की जनता ने एएमएमके के महासचिव टीटीवी दिनकरण को एकदम से साइड ही कर दिया है। साथ ही आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के खिलाफ गलत प्रचार कर डीएमके ने सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि पार्टी की होने वाली बैैठक में स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा की जाएगी।