चेन्नई

जीवन में किसी की निंदा न करें

यदि चाहते हैं कि यह चक्र मन में न चले तो पदार्थ को न देखें। यदि पदार्थ सामने नहीं होगा तो विषय भी नहीं होगा। परमात्मा का कहना है कि पदार्थ हटाओगे तो चाहत निष्फल हो जाएगी और चाहत हटाओगे तो पदार्थ निष्फल हो जाएगा।

चेन्नईSep 04, 2018 / 11:31 am

Ritesh Ranjan

जीवन में किसी की निंदा न करें

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा जो विषय है वही चक्र है और जो चक्र है वही विषय हैै। यदि चाहते हैं कि यह चक्र मन में न चले तो पदार्थ को न देखें। यदि पदार्थ सामने नहीं होगा तो विषय भी नहीं होगा। परमात्मा का कहना है कि पदार्थ हटाओगे तो चाहत निष्फल हो जाएगी और चाहत हटाओगे तो पदार्थ निष्फल हो जाएगा। यदि सहज उपलब्धता नहीं हो तो विकार उत्पन्न नहीं होता। उन्होंने ब्रह्मचर्य के नवाणं का पालन करने का मार्ग बताया। विकारों के रास्तों को बंद कर दें। यह चक्र बंद करो। एक को समाप्त करेंगे तो दूसरा अपने आप निष्फल और निष्क्रिय हो जाएगा। संघ, समाज, परिवार, मां, बाप, गुरु हमें इस चिंगारी से बचाते हैं लेकिन वर्तमान में तो माता-पिता ही ऐसे-ऐसे कार्य कर रहे हैं कि उनकी भावी पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय नजर आता है। जो अपने विषय-वासना में आकंठ डूब कर उनमें आनन्द लेने लगते हैं उनका जीवन बिगड़ जाता है। भारतीय संस्कृति कहती है कि यदि आपके पास अच्छा चरित्र नहीं है तो तुम जीने लायक नहीं हो। लेकिन आजकल तो इसके विपरीत हो रहा है।
तीर्थेशऋषि ने जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण के बारे में बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे पुण्य किए और दूसरों से भी कराए कि आने वाली चौबीसी में अपना तीर्थंकर नामकर्म का बंध कर लिया। हम उनके गुणों में से केवल शुभ को देखने वाले एक गुण का भी पालन कर लें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा। श्रीकृष्ण का सबसे बड़ा गुण उनका सकारात्मक दृष्टिकोण था, वे सभी में सदैव शुभ और अच्छाई को ही देखते थे। जो गुणों को ही देखता है वही पूजनीय बनता है।
कार्यक्रम में अशोक छाजेड़, रेखा नाहटा, रेखा कांकरिया, विजयलक्ष्मी सुराणा की मासखमण की पच्चखावणी और अभिषेक-राखी छल्लाणी की सजोड़े तपस्या के पच्चखान हुए। चातुर्मास समिति द्वारा इनका सम्मान किया गया।
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