जिसके जवाब में निगम आयुक्त जी. प्रकाश, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए, ने कहा कि गत 2 सितंबर से ही इस प्रथा को दूर किया जा चुका है। कोर्ट ने यह निर्देश आर. प्रियांका नामक एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका, जिसमें उन्होंने कोर्ट से निगम को हल्के लक्षण वालों को जबरन क्वारंटाइन नहीं करने का निर्देश देने का आग्रह किया था, के बाद दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारियों ने उनके दरवाजे के सामने टिन की चादरे लगा दी थी, जिससे प्रवेश द्वार पूरी तरह से बाधित हो गया था और मूलभूत आवश्यक्ताओं से भी दूर हो गए थे। जिसके बाद कोर्ट ने कोरोना पॉजिटिव मरीज के घर के प्रवेश द्वार को बाधित करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया। इसके अलावा याचि ने आरोप लगाया कि कोविड 19 मरीजों को क्वारंटाइन करने के लिए स्थापित गुरु नानक स्कूल में मेरे पति को भर्ती किया गया और वहां पर किसी प्रकार की साफ सफाई नहीं थी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कोविड केयर अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों में गंदे बाथरूम के कारण अन्य संक्रमण नहीं फैलना चाहिए। अवलोकन पर जवाब देते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता एसआर राजगोपाल ने कहा अब तक इस तरह के अस्पतालों में 1.१५ लाख लोगों को भर्ती कर छुट्टी दी जा चुकी है। कोविड केंंद्र रहने योग्य और पूरी तरह से सुरक्षित है। जहां तक टिन के चादरों को लगाने की बात है तो निगम को वैकल्पिक उपायों को देखने और कोर्ट को जानकारी देने को कहा गया है। प्रस्तुति को रिकार्ड करने के बाद कोर्ट ने 22 दिसंबत तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर दी।