तमिलनाडु के तुत्तुकुडी जिले में फंसे झारखंड मूल के 12 मजदूरों को मुक्त कराया गया। इन मजदूरों को पिछले चार महीनों से बंधक बनाकर बिना भुगतान किए काम कराया जा रहा था। झारखंड सरकार की ओर से दखल दिए जाने के बाद गुमला श्रम अधीक्षक ने मजदूरों के बकाया राशि का भुगतान करवाया और उन्हें झारखंड स्थित उनके घर वापस भेजने का इंतजाम कराया गया। सभी 12 मजदूरों की घर वापसी शनिवार को होगी।
झारखंड सरकार के श्रम, योजना, प्रशिक्षण और कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि इस साल अप्रैल से ही 12 मजदूर तमिलनाडु के तुत्तुकुडी जिले में फंसे हुए थे और सभी को बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया जा रहा था, लेकिन तमिलनाडु सरकार के सहयोग से उन्हें मुक्त करा लिया गया है। सभी मजदूर शनिवार को झारखंड आएंगे।
फंसने वालों गुमला के मजदूरों के नाम हैं- विकास उरांव, सोमरा उरांव, संजय लोहरा, नीरज उरांव, संजय उरांव, सुक्कु मुंडा, रोहित उरांव, बिरसा मुंडा, मुन्ना उरांव, बुधुराम, कुलदीप गोप, सरधूम उरांव।
ऐसे हुई शुरूआत
सभी 12 मजदूर गुमला भरनो के हैं। यहां जनैफा इंडिया नामक कंपनी में काम कर रहे थे। जिसके बाद 12 जुलाई को मजदूरों ने श्रम नियंत्रण कक्ष से संपर्क किया। इसमें इन मजदूरों के फंसे होने की जानकारी सामने आई। नियंत्रण कक्ष ने जानकारी गुमला श्रम अधीक्षक को दी। जिसके बाद उन्होंने तमिलनाडु में संपर्क साधा और बुधवार को विषेश दल कंपनी भ्रमण के लिए भेजा गया। तमिलनाडु के अधिकारियों ने मामले को सही पाया और सभी 12 मजदूरों को अपनी सुरक्षा घेरे में कंपनी से बाहर निकाला। शनिवार को मजदूर स्पेशल ट्रेन से वापस अपने घर पहुंचेंगे।
मजदूरों के साथ मारपीट
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने जानकारी दी है कि मजदूरों के साथ मारपीट भी की गई है। कंपनी संचालक और ठेकेदार द्वारा श्रमिकों से 12-12 घंटे काम कराया गया। ऐसे में एसटी-एससी अत्याचार अधिनियम के तहत लोगों पर कार्रवाई की जा रही। जनैफा इंडिया नामक कंपनी मछली पाउडर बनाती है। यहां सभी मजदूर मछली अनलोड करने का काम करते थे। अप्रैल के बाद मजदूरों को वेतन भी नहीं दिया गया।