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पुलिस अधीक्षक (ईस्ट) पुदुचेरी डॉ. रचनासिंह ने कहा, यदि महिला में इच्छा शक्ति है तो हर बाधा को पार कर सकती है

locationचेन्नईPublished: Mar 07, 2021 10:28:51 pm

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेषपुलिस अधीक्षक (ईस्ट) पुदुचेरी डॉ. रचनासिंह ने कहा, यदि महिला में इच्छा शक्ति है तो हर बाधा को पार कर सकती है

Dr. Rachna Singh, Superintendent of Police East Puducherry

Dr. Rachna Singh, Superintendent of Police East Puducherry

चेन्नई. पुलिस अधीक्षक (ईस्ट) पुदुचेरी डॉ. रचनासिहं का मानना है कि यदि महिला में इच्छा शक्ति हैं तो वह हर बाधा को पार कर सकती है। वे कहती हैं, महिला अधिकारों की बात बहुत हो चुकी है। अब उनके क्रियान्वयन का वक्त है। जब तक हम स्वयं अपने अधिकारों को लेकर जागरुक नहीं होंगे तब तक उन्हें कोई नहीं समझा सकता। अब यह जागरुकता अन्दर से आनी चाहिए।
राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि अन्याय को किसी भी हालत में सहन न करें। न मैं सहूंगी। न परिवार सहेगा। अन्याय का प्रतिकार करें। इस विषय के बारे में सोचना बन्द करें कि समाज क्या कहेगा। आपको अपना उदाहरण देना है। महिला कमजोर नहीं है। कहीं पर कमजोर नहीं है।
महिलाएं पुरुषों से कम नहीं
डॉ. रचनासिंह कहती हैं, महिला ने हर जगह हर क्षेत्र में खुद को साबित किया है। इस बात का अहसास अन्दर से होना चाहिए कि महिलाएं बेहतर काम कर सकती है। परिवार के साथ समवन्य बिठाते हुए बेहतर कर सकती है। कर रही है। जब हम शक्ति की पूजा करते हैं तो महिलाएं स्वंय को क्यों भूल जाती है। महिलाओं के शशिक्तकरण पर बहुत बात हो गई है। आइये आगे बढ़िए। महिलाएं पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं है।
मानवीय संवेदनाओं के साथ कानून का पालन
कोरोना महामारी के समय की बात करते हुए वे कहती हैं, उस दौरान उन्हें साउथ डिवीजन की जिम्मेदारी दी गई। लॉकडाउन में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जो भी निर्देश मिलते उसका पालना करते थे। मानवीय संवेदनाओं के साथ कानून का पालन किया। दोनों चीजें संभालनी थी। इसी दौरान तीन श्रमिक विशेष रेलें भेजी गई। ये रेलें यूपी, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल-औड़िसा भेजी गई। श्रमिकों व अन्य लोगों को सुरक्षित गंतव्य तक भिजवाने की व्यवस्था थी। वे कहती हैं, उन्हें उत्तर भारतीय व हिंदी भाषी होने का अतिरिक्त लाभ मिला। उनके संयम को बनाए रखने में कामयाबी मिली। इसके लिए पुदुचेरी सरकार व यूपी सरकार की प्रसंशा भी मिली। इस बीमारी को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता पाई। पुदुचेरी में अब स्थिति नियंत्रण में है। राष्ट्र की सेवा में योगदान दिया है। पूरा प्रयास किया।
विवाह के बाद हुआ चयन
डॉ. रचनासिहं लखनऊ में पली-बढ़ी। लखनऊ विश्वविद्यालय से एमएमसी (वनस्पति विज्ञान) एवं एमए (प्राचीन भारतीय इतिहास) के बाद पीएचडी की है। राजपूत काल में सामाजिक-आर्थिक स्थितियां विषय पर शोध किया। पर्दा प्रथा, बाल विवाह के कई कारण थे। उस काल की प्रासंगिकता बताई थी। पीएचडी में गोल्ड मेडल से नवाजा गया। डॉ. रचनासिहं के पिता उत्तरप्रदेश राज्य सेवा में रहे। डॉ. रचनासिहं को शुरु से ही पुलिस का शौक था। यूनिफॉर्म पहनना चाहती थी। पिता के साथ वालों को यूनिफॉर्म देखकर उन्हें भी वर्दी पहनने की इच्छा हुई। वर्ष 2009 एवं 2010 के पहले एवं दूसरे प्रयास में पूरी तरह से सफल नहीं हो सकी और तीसरे प्रयास में 2011 में सफलता मिली। इस बीच विवाह हो गया। शादी के बाद सिविल सेवा में सलेक्शन हो गया।
घर-परिवार को बैलेंस रखते हुए कर्त्तव्य का पालन
वर्तमान में डॉ. रचनासिंह पुलिस अधीक्षक (ईस्ट) पुदुचेरी के पद पर कार्रत है। पति लखनऊ में व्यवसाय करते हैं। उनकी सात साल की बेटी है। घर-परिवार को बैलन्स करते हुए वे पूरी निष्ठा व लगन से अपने कर्त्तव्य का पालन कर रही है। डॉ. रचनासिहं कहती हैं, मुझे मेरे परिवार का पूरी तरह से सहयोग मिल रहा है। प्रेरित किया कि जीवन में कुछ करना चाहते हैं तो जरूर करें।

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