परासरण दबाव से पैदा होगी बिजली
चेन्नईPublished: Aug 17, 2019 12:21:18 pm
Bio residue की घटत और पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती चिंता के इस दौर में वैकल्पिक ऊर्जा खोजना जो इन समस्याओं का समाधान करे एक बड़ी चुनौती है।
परासरण दबाव से पैदा होगी बिजली
– नई वैकल्पिक ऊर्जा ऑस्मोटिक
– आइआइटी मद्रास में नया शोध
चेन्नई. जैव अवशेषों की घटत और पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती चिंता के इस दौर में वैकल्पिक ऊर्जा खोजना जो इन समस्याओं का समाधान करे एक बड़ी चुनौती है। इस कड़ी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के सहायक प्रोफेसर डा. विशाल नंदीगणा और शोधार्थियों की टीम ऑस्मोटिक (परासरणी) पावर पर काम कर रही है जो ऊर्जा का नया विकल्प साबित हो सकती है। विशेषज्ञ इसे नील ऊर्जा (ब्लू एनर्जी) की संज्ञा दे रहे हैं।
आइआइटी प्रोफेसर विशाल और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों की एक टीम का संयुक्त विश्लेषणात्मक आलेख प्रतिष्ठित जर्नल नेचर रिव्यू मेटेरियल्स में अगस्त २०१९ में प्रकाशित हुआ है जिसके तहत उनके द्वारा विकसित एक झिल्ली या परत (मेम्बरेन) की श्रेष्ठता का उल्लेख है।
आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरंग विभाग के फ्लूड सिस्टम्स प्रयोगशाला के सहायक प्रोफेसर डा. विशाल ने बताया कि यह नई ऊर्जा परासरण दबाव पर आधारित है। यह दबाव उस वक्त उत्पन्न होता है जब अर्धपारगम्य झिल्ली (सेमिपरमिएबल मेम्बरेन) ताजा पानी से नमक को अलग करती है। फिर इस दबाव से बिजली पैदा की जा सकती है।
सहायक प्रोफेसर के अनुसार जहां समुद्र और नदियों के पानी का मुहाना है वहां ऑस्मोटिक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इस ऊर्जा पर पहले भी कार्य हुआ है। हमारा मोलिब्डेनम सल्फाइड मेम्बरेन उच्च घनत्व वाली बिजली पैदा करने में सक्षम है। अन्य मौजूदा मेम्बरेन की तुलना में इसकी उत्पादकता अधिक है। अब हम अपने मेम्बरेन का आकार बढ़ाने पर कार्य कर रहे हैं। एक वर्ग मीटर के एक मेम्बरेन से उत्पादित ऊर्जा से ५० हजार बल्बों के लिए आवश्यक रोशनी का उत्पादन संभव होगा।
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