मन की शुद्धि किए बिना धर्म करने वाला प्राणी भी मोक्ष नहीं जा सकता समता की शोभा बढ़ाने वाले प्राणी यदि जगत में स्वच्छंदता से भ्रमण करने वाले चित्त रूपी राक्षस को पुण्य के कारणभूत मनोहर मंत्रों द्वारा यंत्रित करके वश में कर लेते हैं तो वह मानव सर्व सुखों का पोषण करने वाले मोक्ष रूपी महल में हमेशा निवास कर लेता है। अपने हाथों में कांच पकड़ कर फिरता हुआ नेत्रहीन प्राणी जिस प्रकार अपना चेहरा नहीं देख सकता, वैसे ही मन की शुद्धि किए बिना धर्म करने वाला प्राणी भी मोक्ष नहीं जा सकता। मुक्ति रूपी स्त्री को वश में करने के लिए दूती के समान ऐसे मन की शुद्धि धारण करने की इच्छा यदि हमारे मन में हो तो कंचन-कामिनी (स्त्री) की ओर जाते हुए अपने मन-हृदय का रक्षण करना चाहिए, क्योंकि जिस तरह पत्थर की शिला पर कमल नहीं उगते वैसे ही लोभ व लाभ के चक्कर में पड़ेे जीव को आत्मधन की प्राप्ति नहीं होती।
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