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फूल विक्रेताओं पर गिरी गाज

locationचेन्नईPublished: Nov 19, 2018 11:32:43 pm

हाइकोर्ट के निर्देश के बाद गुरुवार को पुलिस ने एनएससी बोस रोड से सर्टी बद्रीयन स्ट्रीट में कब्जा जमाए बैठे फूल विक्रेताओं को हटा दिया। हालांकि हाईकोर्ट इन विके्रताओं को यहां से हटाने के लिए पहले भी कई बार निर्देश दे चुकी है। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस का भारी

Fall on flower sellers

Fall on flower sellers

चेन्नई।हाइकोर्ट के निर्देश के बाद गुरुवार को पुलिस ने एनएससी बोस रोड से सर्टी बद्रीयन स्ट्रीट में कब्जा जमाए बैठे फूल विक्रेताओं को हटा दिया। हालांकि हाईकोर्ट इन विके्रताओं को यहां से हटाने के लिए पहले भी कई बार निर्देश दे चुकी है। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस का भारी लवाजमा मौके पर पहुंचा। विरोध एवं किसी अनहोनी से बचने के लिए विशेष पुलिस बल भी इस दौरान तैनात किया गया। पुलिस ने दुकानदारों को अस्थायी दुकानें लगाने से मना कर दिया। दुकानदार अपनी सामग्री लेकर उधर से उधर भागते नजर आए।

कई दुकानदार सडक़ के दूसरी तरफ पहुंच गए लेकिन पुलिस के आगे बेबस होकर अपनी अस्थायी दुकानें लगाने में कामयाब न हो सके। पुलिस की सायरन बजाती गाडिय़ां लगातार एनएससी बोस रोड पर दौड़ती रही।

इस बीच अपनी आंखों के सामने ही अपना रोजगार जाते देख अस्थायी दुकानदार एनएससी बोस रोड पर ही बीएसएनएल कार्यालय के पास इकट्ठे हो गए। वे फोन के माध्यम से राजनीतिक दलों के आकाओं को अपनी आपबीती सुना रहे थे। कई महिला दुकानदार तो धैर्य खो बैठी और उदास मन से अपनी उजड़ी दुकानों को देख रही थी। दिनभर यही हालत रही। शाम ढलते ही पुलिस की जब गाडिय़ों का आवागमन बंद हुआ उन्होंने अपनी दुकानें उसी स्थान पर जा सजाई।

एक दुकानदार ने बताया कि पुलिस एवं प्रशासन कई बार यहां से पहले भी दुकानदारों को बेदखल कर चुकी है।

दुकानदारोंं की मानें तो अतिक्रमण के लिए राजनीतिक दलों के साथ ही पुलिस व प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। इनको राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त है। इतना ही नहीं पुलिस व निगम कर्मियों को इन दुकानदारों से आए दिन वसूली करते देखा जा सकता है।

इसके चलते ही इन अस्थायी दुकानदारों का हौसला बुलंद है। कभी-कभार केवल दिखावे के लिए एकबारगी इनको बेदखल भी किया जाता है तो कुछ समय बाद फिर से उसी जगह अपना रोजगार शुरू कर देते हैं।

वन अधिकारी को 60 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा

भ्रष्टाचार की अमरबेल बढ़ती ही जा रही है। सरकारी कारिंदे बिना रिश्वत के काम नहीं करते। जब तक वजन नहीं रखा जाता तब तक फाइल आगे नहीं खिसकती। ऐसे ही एक मामले में वन अधिकारी को 60 हजार रुपए की रिश्वत लेते दबोचा गया। उसने अमरदी वन क्षेत्र में एक किसान से अतिक्रमण की जमीन को लेकर मामला दर्ज नहीं करने की एवज में यह रिश्वत ली थी।

अमरदी के तेकूर गांव निवासी चिदम्बरम ने कुछ जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है। वन अधिकारी राजा ने चिदम्बरम एवं उसके पिता रामण को अपने कार्यालय में बुलाया तथा कहा कि तुम अतिक्रमित भूमि पर खेती कर रहे हो, इस पर मामला दर्ज किया जाएगा। मामला रफा-दफा करने के लिए अधिकारी ने डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत मांगी। बाद में 60 हजार में सौदा तय हुआ।

इसके बाद रामण ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करवा दी जिसके सत्यापन के बाद ब्यूरो के निरीक्षक विजय के नेतृत्व में अधिकारी को रंगे हाथ गिरफ्तार करने की योजना बनाई गई। रामण को 60 हजार रुपए देकर वन अधिकारी के कार्यालय भेजा गया। जैसे ही रामण ने अधिकारी को रिश्वत की राशि दी तो आसपास ही छिपकर बैठे ब्यूरो के अधिकारियों ने मौके से वन अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया।

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